पीएफआई पर प्रतिबंध के लिए डीजीपी ने की सिफारिश, उपमुख्यमंत्री बोले. हिंसा में इसका हाथ
लखनऊ/ प्रदेश में हिंसात्मक गतिविधियों में शामिल रही पापुलर फ्रंट आफ इंडिया,पीएफआई पर प्रतिबंध के लिए डीजीपी मुख्यालय ने सिफारिश की है। इस सिफारिश को राज्य के गृह विभाग के माध्यम से भारत सरकार को भेजा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार प्रदेश में हाल के दिनो में हुई हिंसा के दौरान पीएफआई के 22 सदस्य पुलिस के हत्थे चढ़े थे। इसमें लखनऊ और शामली में सबसे अधिक थे। इससे पहले भी लखनऊ, मेरठ, शामली, वाराणसी और अन्य स्थानों पर पीएफआई के सदस्यों के पास से आपत्तिजनक साहित्य व सामग्री बरामद की गई थी। उक्त जिलों में पूर्व में दर्ज मुकदमे का हवाला देते हुए सिफारिश में कहा गया है कि किस तरह से 2010 से यह संगठन यूपी के विभिन्न जिलों में सक्रिय रहा है और माहौल खराब करने की कोशिश करता रहा है। सिफारिश में प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया,सिमी के सदस्यों ने पीएफआई जॉइन कर ली थी। अब तक प्रकाश में आए कई ऐसे नाम हैं जो पूर्व में सिमी के सदस्य रहे हैं। डीजीपी मुख्यालय ने यह सिफारिश गृह विभाग को भेज दी है। गृह विभाग इसका अध्ययन करने के बाद केंद्र सरकार को भेजेगा। गौरतलब है कि लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा में पीएफआई का हाथ होने के सुबूत मिले थे। लखनऊ में पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष वसीम अहमद समेत पीएफआई के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था। लखनऊ के अलावा शामली में इस संगठन से जुड़े 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। डीजीपी मुख्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि पीएफआई की गतिविधियों को देखते हुए इसपर प्रतिबंध की सिफारिश की गई है। क्योंकि यह एक राष्ट्रव्यापी संगठन है इस लिए इस पर प्रतिबंध का निर्णय केंद्र सरकार करेगी। उक्त अधिकारी ने बताया कि यह संगठन यूपी के अलावा 11 अन्य राज्यों में सक्रिय है। वहीं, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि पीएफआई को बैन करने के लिए प्रस्ताव लाएंगे। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में माहौल बिगाड़ने में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पीएफआई के सदस्यों का हाथ था।
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