उत्तराखंड कैबिनेट बैठक- स्लॉटर हाउस बंद कर सकेगी सरकार
देहरादून/ देवभूमि उत्तराखंड में किसी भी जिले या निकाय क्षेत्र में स्लॉटर हाउस,पशु वधशाला को बंद करने का अधिकार अब सरकार के पास होगा। अभी यह अधिकार निकायों के पास है। राज्य की भाजपा सरकार इस फैसले को अमल में लाने को अध्यादेश लाएगी। मंत्रिमंडल ने अन्य महत्वपूर्ण फैसले में नदी चुगान क्षेत्रों या नदी क्षेत्र के इतर चुगान क्षेत्रों में खनन का दायरा बढ़ा दिया है। अब उपखनिजों यानी बालू, बजरी, बोल्डर का चुगान 1.5 मीटर के बजाए तीन मीटर गहराई तक किया जा सकेगा। खनन बढऩे से भवन व अन्य निर्माण कार्यों को लाभ और बड़ी राहत मिलना तय है। सरकार के इस कदम से उपखनिजों की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगने की उम्मीद भी बढ़ गई है। त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्रिमंडल ने बुधवार को कर्मचारियों, कारोबारियों, सरकारी भूमि पट्टाधारकों को बड़ी राहत दी। ई.मंत्रिमंडल की लगातार तीसरी बैठक में 16 बिंदुओं पर फैसले लिए गए। सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने मंत्रिमंडल के फैसलों को ब्रीफ किया। उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड में स्लॉटर हाउस को बंद करने का अधिकार अपने हाथों में लेने का फैसला किया है। दरअसल अभी तक यह अधिकार नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों के पास है। निकाय स्लॉटर हाउस खोल सकते हैं। सरकार चाहे भी तो इन्हें बंद करने का फैसला नहीं ले पा रही थी। इस मामले में नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों के संबंधित अधिनियम में ही उक्त प्राविधान है। हरिद्वार जिले में स्लॉटर हाउस को प्रतिबंधित करने में उक्त खामी ने सरकार के हाथ बांध रखे हैं।हाईकोर्ट भी स्लॉटर हाउस के संबंध में सरकार को निर्णय लेने का आदेश दे चुका है। धर्मनगरी हरिद्वार में स्लॉटर हाउस को अनुमति नहीं देने में नियमों की अड़चन बनी हुई थी। मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड नगर निगम अधिनियम, 1959संशोधन अध्यादेश, उत्तराखंड नगर पालिका अधिनियम, 1916 संशोधन अध्यादेश.2020 लाने के फैसले पर मुहर लगा दी। सरकार ने पूरे प्रदेश में यह प्राविधान लागू करने का फैसला लिया है। इस प्राविधान के लागू होने से स्लॉटर हाउस को प्रतिबंधित कर संबंधित क्षेत्र में मांस की बिक्री पर भी सरकार नियंत्रण कर सकेगी।
मंत्रिमंडल ने उपखनिज,परिहार नियमावली, 2001समय-समय पर यथासंशोधित एवं उत्तराखंड उपखनिज,बालू, बजरी, बोल्डर चुगान नीति, 2016 में आंशिक संशोधन किए गए हैं। इस संशोधन के बाद राज्य में खनन क्षेत्र में इजाफा करने का रास्ता साफ हो गया है। तीन मीटर गहराई तक खनन की अनुमति के साथ अंडरग्राउंड वाटर लेबल को शामिल किया गया है। राज्य सरकार के इस फैसले से अवैध खनन पर तो अंकुश लगेगा ही साथ में वैध खनन ज्यादा होने से निर्माण कार्यों के लिए उपखनिजों की कमी की दिक्कत नहीं रहने वाली। वहीं आम आदमी के साथ कार्यदायी एजेंसियों, रियल इस्टेट कारोबारियों को राहत मिलेगी। सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी। केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय भी 24 दिसंबर 2013 के कार्यालय ज्ञाप में उक्त संशोधन कर चुका है।
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