सी.ए.ए और 370 की घोषणा अपने हनुमान से कराने वाले मोदी श्रीराम के लिए खुद क्यों आए सामने?
नई दिल्ली/ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसका स्वागत करना हो या फिर लोकसभा में राम मंदिर ट्रस्ट के गठन की घोषणा के लिए खुद आगे आना हो मोदी पीछे नहीं हटे। 90 के दशक में लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या यात्रा के सारथी मोदी का श्रीराम मंदिर आंदोलन से भावनात्मक लगाव भी रहा है।जम्मू कश्मीर पर सरकार के लिए गए फैसले के बाद से देश की अपेक्षाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से और भी बढ़ गई हैं। ऐसे में लोगों के जेहन में यह सवाल है कि तीन तलाक और अनुछेद 370 के बाद क्या अगला निशाना राम मंदिर होगा। जब देश का कप्तान ऐसा हो तो बड़ी से बड़ी जंग में जीत पक्की है। कुछ करने का जज्बा और हौसला जब प्रधानमंत्री मोदी जैसा हो तो कुछ भी असंभव नहीं। देश को आजाद हुए 72 साल हो रहे हैं लेकिन अब तक ऐसा जिगर वाला प्रधानमंत्री किसी ने नहीं देखा। जिन विषयों को किसी ने छूने की हिम्मत नहीं दिखाई, जिन मसलों की तरफ राजनीतिक पार्टियां आंखे मूंदे रही, उन मसलों की फाइल मोदी ने न सिर्फ खोली बल्कि उसे मुकाम तक पहुंचाया।
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