उत्तराखंड- 14 फरवरी को सवा लाख कर्मचारी करेंगे सामूहिक कार्य बहिष्कार
देहरादून/सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चार दिन बाद भी पदोन्नति में आरक्षण पर रोक को लेकर शासनादेश जारी न होने और सीधी भर्ती में रोस्टर प्रणाली यथावत रखने की मांग पर कोई फैसला न होने से अधिकारियों व कर्मचारियों में राज्य सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ने लगा है। इसको लेकर समन्वय मंच ने आपात बैठक बुलाई। इसमें आरोप लगाया गया कि कर्मचारियों के हित से जुड़े मुद्दे पर अब राजनीति की जा रही है। इसके विरोध में शुक्रवार को प्रदेश में एक दिवसीय सामूहिक कार्य बहिष्कार और दून में परेड ग्राउंड से सचिवालय कूच का एलान किया गया। बैठक में 11 से अधिक कर्मचारी संगठनों ने हिस्सा लिया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि सरकार पदोन्नति में आरक्षण पर रोक को लेकर दृढ़ होती तो बिना देर किए शासनादेश जारी कर देती। समन्वय मंच के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा, सरकार के रवैये से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वह इस मुद्दे को फिलहाल के लिए टालना चाहती है। लेकिन, हम ऐसा नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों को उसके खिलाफ सड़क पर उतरने के लिए विवश किया है तो अब ऐसा ही होगा। अगले दो दिन में शासनादेश जारी नहीं हुआ तो शुक्रवार को प्रदेश के 70 से अधिक विभागों के करीब सवा लाख कर्मचारी सामूहिक कार्य बहिष्कार पर रहेंगे। इस दिन परेड ग्राउंड से सचिवालय भी कूच किया जाएगा। इसके बाद भी लेटलतीफी हुई तो 20 फरवरी को देहरादून में प्रदेशव्यापी महारैली होगी और इस दिन भी सचिवालय कूच होगा। बैठक में शामिल संगठनों के पदाधिकारियों ने एक राय होकर चेतावनी दी कि इसके बाद हड़ताल की घोषणा की जाएगी। उधर, सीधी भर्ती में रोस्टर प्रणाली यथावत रखने को लेकर उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इम्प्लाइज एसोसिएशन ने कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक से मुलाकात भी की।पदोन्नति में आरक्षण को लेकर मचे बवाल के बाद अब प्रदेश सरकार इस मामले की पूरी पत्रावली केंद्र को भेजने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में मंगलवार देर शाम को अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने कार्मिक विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर पूरे प्रकरण की जानकारी हासिल की।सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पदोन्नति में आरक्षण को लेकर निर्णय दिया है। इस निर्णय के बाद प्रदेश में पूर्व में लिए गए निर्णय के अनुसार पदोन्नति में आरक्षण न दिए जाने के आदेश के फिर से प्रभावी होने के आसार बन गए हैं। हालांकि, इस मसले पर सामान्य वर्ग व अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के कर्मचारी सरकार पर इसके पक्ष और विरोध में दबाव बनाने में जुट गए हैं। यह मसला संसद में भी गूंज चुका है।सूत्रों की मानें तो केंद्र ने इस मसले पर हंगामे के बाद प्रदेश सरकार से इस संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी है। इसी सिलसिले में मंगलवार देर शाम अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश की अध्यक्ष में कार्मिक विभाग के अधिकारियों संग बैठक भी हुई। सूत्रों की मानें तो बैठक में अपर मुख्य सचिव ने पूरे मामले से जुड़े दस्तावेज तलब किए। सूत्रों के अनुसार अब यह पत्रावली केंद्र भेजी जा सकती है। पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद से प्रदेश की राजनीति में उबाल है। संभवतया यही वजह रही कि शासन ने पदोन्नति पर रोक हटाने के संबंध में कोई फैसला नहीं लिया। माना जा रहा है कि अब कैबिनेट बैठक में पदोन्नति में आरक्षण, पदोन्नति पर रोक और सीधी भर्ती में रोस्टर प्रक्रिया के संबंध में चर्चा होगी। इसके बाद ही पदोन्नति पर रोक हटाने के संबंध में कोई निर्णय लिया जा सकता है।प्रदेश में इस समय पदोन्नति में आरक्षण को लेकर कर्मचारी संगठन आमने-सामने हैं। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद यह उम्मीद जताई जा रही थी कि सरकार जल्द पदोन्नति पर लगाई गई रोक हटा देगी। सोमवार को इस संबंध में आदेश जारी होने की उम्मीद थी। इस बीच सोमवार को यह मामला संसद में भी उठा, जिससे मुद्दा और गर्मा गया। मंगलवार को भी कर्मचारी इस मसले पर शासन की ओर टकटकी लगाए रहे लेकिन देर शाम तक इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया गया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बीते रोज ही इस मामले का अध्ययन करने के बाद निर्णय लेने की बात कह चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अब सचिवालय में होने वाली कैबिनेट की बैठक में यह मसला प्रमुखता से रखा जा सकता है।सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद पदोन्नति से रोक न हटने पर कैबिनेट मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण व पदोन्नति पर रोक हटाने के विषय आपस में जुड़े हुए हैं। इस पर कर्मचारी संगठनों के साथ बैठक की गई है। अधिकारियों से भी इस विषय में विमर्श किया गया है। सरकार इस विषय पर विस्तृत चर्चा के बाद कोई निर्णय लेगी।
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