अंकित की हत्या के पीछे छिपा था बड़ा संदेश, बांग्लादेशी आतंकी की मौजूदगी को किया जा रहा है ट्रेस

 


 




 
नई दिल्ली/ अंकित शर्मा की हत्या की जांच में जो तथ्य निकल कर सामने आ रहे हैं, वे गहरी साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि यह महज दंगे में हुई मौत नहीं बल्कि एक ‘टार्गेट कीलिंग’ थी। यानी अंकित को जानबूझकर निशाना बनाया गया था। फिलहाल पुलिस पूरे घटनाक्रम की कड़ी जोड़ रही है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दिल्ली हिंसा के दौरान आईबी के अधिकारी अंकित शर्मा की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। अंकित के शरीर के हर हिस्से पर चाकू से वार किए गए थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट बताती है कि उन्हें 400 से अधिक बार गोदा गया था। अंकित शर्मा की हत्या की जांच में जो तथ्य निकल कर सामने आ रहे हैं, वे गहरी साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि यह महज दंगे में हुई मौत नहीं बल्कि एक ‘टार्गेट कीलिंग’ थी। यानी अंकित को जानबूझकर निशाना बनाया गया था। फिलहाल पुलिस पूरे घटनाक्रम की कड़ी जोड़ रही है। अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार अंकित 25 फरवरी को शाम 5 बजे के करीब ऑफिस से लौटे थे और अपने दोस्तों के साथ बाहर गए थे। उनके साथ उनका दोस्त कालू और कुछ और कुछ अन्य लोग भी थे, जो कि पुलिया के अन्य ओर खड़े थे। तभी दूसरी तरफ से पथराव हुआ और अंकित सामने ही खड़े थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया कि अंकित को पत्थर लगी और वह फिसलकर गिर गए। इसके बाद दूसरी तरफ से तीन-चार लोग आए और उन्होंने अंकित को दबोच लिया। फिर उन्हें खींचते हुए दूसरी तरफ ले गए। वहां के लोगों का कहना था कि हैरानी की बात है कि उन्होंने अंकित के अलावा किसी को छुआ तक नहीं। अंकित को किसी जगह (शायद एक घर में) ले जाया गया, क्योंकि उसके बाद उन्हें किसी ने नहीं देखा। वहां उनके कपड़े उतार दिए गए और उनके साथ नृशंसता की गई। फिर उनका शव फिर नाले में फेंक दिया गया। उनका शव अगले दिन 26 फरवरी को नाले से मिला था। उनके शव पर सिर्फ अंडरगारमेंट थे। प्रथम दृष्टया मिली जानकारी, कुछ बयानों और डॉक्टरों की शुरुआत राय को देखते हुए लगता है कि अंकित की हत्या किसी मकसद से की गई थी। अंकित के साथ घटित घटनाक्रम संकेत देते हैं कि हत्यारे कुछ संदेश देना चाहते थे। जो नजर आ रहा है या फिर उससे भी बड़ा संदेश। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि वो बांग्लादेशी आतंकियों के ग्रुप को ट्रेस कर रहे हैं जिनका लोकेशन उस वक्त वहां पाया गया था।


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