दस दिन में उत्तराखंड रोडवेज की पांचवीं बस जली
देहरादून/सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर दौड़ रहीं आयु सीमा पूरी कर चुकी रोडवेज की एक और बस जलकर खाक हो गई। पिछले दस दिन में यह पांचवीं घटना है। इस बार हादसे का शिकार शुक्रवार शाम रुड़की डिपो की बस हुई तो देहरादून से 45 सवारी लेकर रुड़की जा रही थी। गनीमत रही कि वक्त रहते बस में सवार सभी यात्री सकुशल बाहर निकल आए। रोडवेज प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चैहान ने मामले की जांच के आदेश जारी कर तकनीकी जांच टीम घटनास्थल रवाना कर दी है। घटना शुक्रवार देर शाम देहरादून-दिल्ली हाईवे पर भगवानपुर में हुई। बस देहरादून से 35 सवारी लेकर रुड़की के लिए निकली थी। रुड़की से कुछ किमी पहले भगवानपुर में खानपुर तिराहे के पास बस से अचानक धुआं निकलने लगा व इससे आग लग गई। जिससे यात्रियों में चीख-पुकार और भगदड़ मच गई। चालक नरेन्द्र त्यागी व परिचालक अजय सैनी ने तत्काल बस को किनारे रोक लिया और सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला। हालांकि, बस के साथ-साथ कुछ यात्रियों का सामान जलकर खाक हो गया। सूचना पर भगवानपुर थाना पुलिस दमकल की गाडियों समेत वहां पहुंची और आग पर काबू पाया। इस दौरान हाइवे पर जाम लगा रहा। यात्रियों को दूसरी बस में बैठा रुड़की तक लाया गया। गत एक मार्च को देहरादून-हरिद्वार मार्ग पर रोडवेज की जेएनएनयूआरएम डिपो की बस हरिद्वार हाईवे पर नेपाली फार्म के पास जलकर खाक हो गई थी। इसमें सवार 46 यात्रियों ने जैसे-तैसे जलती बस से कूदकर जान बचाई थी। इसके अगले ही दिन यानी दो मार्च को देहरादून मसूरी जा रही पर्वतीय डिपो की साधारण बस कुठालगेट के समीप आग का शिकार हो गई थी। यहां भी आग लगी हुई बस में बैठे 35 यात्रियों ने कूदकर जान बचाई थी। इन दोनों घटनाओं से एक हफ्ते पहले ऋषिकेश के भोगपुर में चलती बस में आग लग गई थी, जबकि काशीपुर में बस अड्डे पर खड़ी बस जलकर खाक हो गई थी। अब शुक्रवार को रुड़की डिपो की बस आग का शिकार बन गई। लगातार पांच बसों में आग लगने की घटना से बसों में यात्रियों की सुरक्षा पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। स्थिति ये है कि इनमें तीन बसें छह दिन के भीतर जली हैं। प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चैहान ने बताया कि घटना में जांच कराई जा रही है। अगर किसी स्टॉफ की लापरवाही पाई जाती है तो कार्रवाई की जाएगी। दस दिन में पांच बसों में आग लगने की घटनाओं के बाद रोडवेज मुख्यालय ने सूबे में कंडम हो 175 बसों के संचालन पर रोक लगा दी है। प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चैहान की ओर से शुक्रवार देर शाम इसके आदेश जारी कर दिए गए। प्रबंध निदेशक चैहान ने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरी है और इस बारे में कोई समझौता नहीं किया जा सकता। रोडवेज में मौजूदा हालात में करीब 300 बसें आयु सीमा पार कर चुकी हैं। इनमें से 175 बसें तो लचर हालात में हैं और इन्हें जबरन दौड़ाया जा रहा। इन बसों की लिस्ट पिछले साल ही बन चुकी थी और नीलामी होनी थी, लेकिन मामला नई बसों के गियर लीवर टूटने की वजह से लटक गया। प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चैहान ने बताया कि जब अक्टूबर में टाटा कंपनी से 150 बसों की आपूर्ति हुई थी, तभी 175 पुरानी बसों की नीलामी के आदेश दे दिए गए थे। मगर टाटा की नई बसों के गियर लीवर टूटने की शिकायत और बसें वापस कंपनी को जाने से पुरानी बसों की नीलामी नहीं हुई। इसके साथ ही अशोका लेलैंड की बसें भी समय पर नहीं मिलीं। प्रबंध निदेशक ने बताया कि टाटा से सभी 150 बसें अगले हफ्ते वापस मिल जाएंगी और इसी माह लेलैंड की शेष बसें भी पहुंच जाएंगी। ऐसे में 31 मार्च तक 300 नई बसें मार्गों पर दौडने लगेंगी। चूंकि, पुरानी बसों में लगातार तकनीकी दिक्कतें आ रहीं हैं, ऐसे में 175 बसों का संचालन रोकने के आदेश दे दिए गए हैं। रोडवेज अधिकारियों के मुताबिक पुरानी बसों में फायर डिटेक्शन अलार्म सिस्टम है ही नहीं। ऐसे में चालकों को चलती बस में आग जैसी घटनाओं का तभी पता चलता है जब धुआं उठने लगे। नई बसों में अलार्मिंग सिस्टम लगा है। यह दस सेकंड के भीतर ही आग की सूचना दे देता है, ताकि समय से यात्रियों को सुरक्षित किया जा सके। कोरोना वायरस का खौफ रोडवेज बसों में भी नजर आने लगा है। दिल्ली, गुरूग्राम व फरीदाबाद समेत आगरा, जयपुर आदि जाने वाली बसों में चालक-परिचालक ड्यूटी से बच रहे हैं। ऐसे में प्रबंध निदेशक ने दिल्ली रूट व लंबी दूरी की सभी बसों में चालकों एवं परिचालकों के लिए मास्क खरीदने का आदेश दिया है।
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