हड़ताल-कर्मचारियों के दोनों धड़े सड़क पर उतरे

 




देहरादून/ प्रमोशन में आरक्षण का विरोध कर रहे जनरल ओबीसी कर्मचारी अब पूरी तरह प्रदेश सरकार के खिलाफ होते जा रहे हैं। उनमें सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है। देहरादून में गुरुवार को धरने के दौरान कर्मचारी खुलकर राज्य सरकार की खिलाफत में उतर गए। जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दीपक जोशी ने धरने को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटने के लिए 18 मार्च को हर विधानसभा में कार्यक्रम करने जा रही है। इस सरकार ने तीन साल में किया ही क्या है जो दिखाएगी। उन्होंने कहा कि कर्मचारी इन कार्यक्रमों का भी बहिष्कार करेंगे।वहीं चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी महासंघ के प्रदेश महामंत्री बनवारी रावत ने कहा कि सामान्य ओबीसी वर्ग के मंत्री-विधायकों का भी बहिष्कार किया जाएगा। ये हमारे साथ खड़े नहीं हुए तो आखिर हम क्यों अगले चुनाव में इनके पीछे खड़े हों। अपील रू राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रह्लाद सिंह कहा कि वक्त आ गया है कि जनरल ओबीसी कर्मचारियों को अपना राजनैतिक संगठन खड़ा करना होगा जो अगले चुनाव में इन बड़ी पार्टियों की खिलाफत कर सके। उन्होंने दीपक जोशी को पहला विधायक उम्मीदवार बनाने की भी मांग की। जनरल ओबीसी कर्मचारी प्रदेशभर में 19 मार्च को शराब की दुकानों का आवंटन नहीं होने देंगे। आबकारी विभाग के जनरल ओबीसी कर्मचारी भी हड़ताल के समर्थन में आ गए हैं। जनरल ओबीसी एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री वीरेंद्र गुसाईं ने बताया कि 13 मार्च को आवेदन की आखिरी तारीख है। इसका भी विरोध किया जाएगा। जबकि 19 मार्च को सभी जिलों में आने वाले आवंटन का विरोध किया जाएगा। उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की गुरुवार को हुई बैठक में फिलहाल आपातकालीन सेवाओं को बंद न करने का निर्णय लिया गया। मोर्चा के संयोजक इंसारुल हक ने बताया कि अलग-अलग संगठनों की राय के बाद यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि निगमों में आपातकालीन सेवाओं को बंद करने का एक नियम है। ऐसे में अचानक सेवाओं को बंद करने की बजाए नोटिस देने के बाद यह निर्णय लिया जाएगा।इसके लिए जल्द मोर्चा की बैठक फिर बुलाई जा सकती है। बैठक में अलग-अलग संगठन के पदाधिकारियों ने अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान पदाधिकारियों ने कहा कि जो हड़ताल में शामिल होना चाहते हैं वे आंदोलन में जाने को स्वतंत्र है। फिलहाल मोर्चा ने आपातकालीन सेवाओं को बंद कर हड़ताल में जाने का निर्णय नहीं लिया है। बैठक में ऊर्जा कामगार संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राकेश शर्मा, लेखा संवर्ग के अध्यक्ष डीसी ध्यानी, बिजली कर्मचारी संगठन के  अध्यक्ष प्रदीप कंसल, अमित रंजन, जेसी पंत, जीएन कोठियाल, विक्की दास, प्रदीप सैली और मनोज रावत सहित अनेक कर्मचारी नेता मौजूद थे। उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से मुलाकात कर अपनी मांगें रखीं। साथ ही कहा कि उनके एक फैसले से पूरे देश के एससी-एसटी वर्ग पर फर्क पड़ेगा। फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष करम राम ने बताया कि बेहद कम कर्मचरियों में विधानसभा सत्र निपटाने के लिए सीएम ने उन्हें बधाई दी। बतौर करम राम, मैंने भी एससी-एसटी कर्मचारियों की ओर से 25 से 27 तक होने वाले सत्र में भी पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया है। करम राम के अनुसार, उन्होंने सीएम से कहा कि सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी का प्रतिनिधित्व पूरा नहीं है।ऐसे में प्रमोशन में आरक्षण दिया जाना चाहिए। फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष हरि सिंह ने बताया कि पदोन्नति में आरक्षण बंद करने की मांग बेवजह है। क्योंकि जब तक प्रतिनिधित्व पूरा नहीं होता, ये एससी-एसटी वर्ग का अधिकार है। उन्होंने दफ्तरों में काम कर रहे कर्मचारियों को जबरन उठाने और दफ्तर बंद कराने को भी अराजकता बताया। हरि सिंह के अनुसार मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि ऐसा करते हुए जो भी कर्मचारी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। शाम को फेडरेशन ने गांधी पार्क से घंटाघर तक मशाल जुलूस निकाला। इस दौरान एससी-एसटी कर्मचारियों ने प्रमोशन में आरक्षण तत्काल लागू करने की मांग की। इसके अलावा रोस्टर में बदलाव कर पहला पद देने की भी मांग की गई। इस दौरान सचिवालय एससी-एसटी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र पाल, उपाध्यक्ष चंद्र बहादुर सहित बड़ी संख्या में कर्मचारी मौजूद रहे।सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने की बात नहीं कही है। ऐसे में सरकार इरशाद हुसैन और इंदु कुमार पांडे कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार फैसला ले। हमने सरकार से प्रमोशन में आरक्षण तत्काल लागू करने की मांग की है। पदोन्नति में आरक्षण को लेकर जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन की हड़ताल गुरुवार को भी जारी रही। कर्मचारियों ने सुभाष रोड स्थिति एक वेडिंग प्वाइंट में धरना भी दिया। जिसमें उन्होंने तत्काल आरक्षण हटाते हुए पदोन्नतियां खोलने की मांग की। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर प्रह्लाद सिंह ने कहा कि किसी कर्मचारी को डरने की जरूरत नहीं। हम लड़ाई जीतेंगे और अपना हक लेकर रहेंगे। अगर किसी संगठन के पदाधिकारी हड़ताल में आने से डर रहे हैं तो उन्हें पद से हटा दें। उनकी जगह जुझारु कर्मचारियों को कमान दें। परिषद के प्रदेश कार्यकारी महामंत्री अरुण पांडे ने कहा कि अब हर कर्मचारी दफ्तर से बाहर निकल रहा है। जरूरत पड़ी तो हम उसे बाहर निकालकर लाएंगे। क्योंकि ये लड़ाई अपने हर जनरल ओबीसी के सम्मान की लड़ाई बन चुकी है।
बाल विकास एवं महिला सशक्तिकरण कर्मचारी संघ की प्रदेश अध्यक्ष रेनू लांबा ने कहा कि कर्मचारी डरे नहीं, हड़ताल में शामिल हों। संगठन उनके साथ है और जीत पक्की है। इसके बाद शाम को कर्मचारियों ने वेडिंग प्वाइंट से ही मशाल जुलूस निकालकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की इस दौरान जनरल ओबीसी एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री वीरेंद्र गुसाईं,राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री शक्ति प्रसाद भट्ट,जिलाध्यक्ष चैधरी ओमवीर, डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष प्रताप पंवार, एजुकेशनल मिनिस्टीरियल आफिसर्स एसोसिएशन के मंडलीय अध्यक्ष मुकेश बहुगुणा, समन्वय मंच के प्रदेश प्रवक्ता पूर्णानंद नौटियाल, मातृत्व शिशु कल्याण की प्रदेश अध्यक्ष गुड्डी मटूड़ा, पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री पंचम बिष्ट, सचिवालय संघ के प्रदेश महामंत्री राकेश जोशी आदि कर्मचारी मौजूद रहे। दीपक जोशी, प्रदेश अध्यक्ष, जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन का कहना है कि सरकार हमारी एकता से डर गई है। सरकार कह रही है कि हड़ताल का असर नहीं पड़ रहा, अगर ऐसा है तो हमसे वार्ता क्यों की जा रही है। हड़ताल तोड़ने की अपील क्यों की जा रही है। सरकार चाहे कितना भी गिड़गिड़ा ले, मगर मांग पूरी होने तक हम हड़ताल खत्म नहीं करेंगे। ओबीसी महासभा ने कहा, हम एससी-एसटी के साथरू प्रमोशन में आरक्षण के मामले में शुरू से ही ओबीसी के साथ का विवाद भी चल रहा है। जहां सामान्य कर्मचारी ओबीसी को अपने साथ बता रहे हैं, वहीं एससी-एसटी भी खुद को ओबीसी का पूर्ण समर्थन होने की बात कह रहे हैं। गुरुवार को इस संबंध में ओबीसी महासभा उत्तराखंड ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा। महासभा के मुख्य संयोजक विजय सिंह पाल ने बताया कि ओबीसी का दर्जा जाति के आधार पर है जबकि उत्तराखंड में क्षेत्र विशेष के आधार पर ओबीसी का दर्जा मिला है। यह असंवैधानिक है। उसे उन्होंने राष्ट्रीय ओबीसी आयोग में चैलेंज भी किया है। उन्होंने कहा कि यहां सामान्य वर्ग के कर्मचारी क्षेत्र के आधार पर ओबीसी होकर जनरल कर्मचारियों को समर्थन दे रहे हैं जबकि असल ओबीसी एससी-एसटी के साथ हैं। ओबीसी पदोन्नति में आरक्षण की पैरवी कर रहे हैं और यह सरकार को करना ही पड़ेगा। 


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