कविता-अब जाने दो मुझको
आशीष तिवारी निर्मल
तुम पर जो शेष है वही उधार हो गया हूँ मैं
चुकाकर तेरा मोल कर्जदार हो गया हूँ मैं।
नही समझी तू मुझे किसी लायक भले ही
एक तेरा ही तो दारोमदार हो गया हूँ मैं।
मर चुके हैं दिल में पनपे सारे ही जज्बात
ना तो गुल और ना ही खार हो गया हूँ मैं।
आता नही था मुझे कभी यूँ शायरी का फ़न
तू देख बड़े शायरों में शुमार हो गया हूँ मैं।
केवल सच के बुनियाद पर टिका हुआ हूँ मैं
तू मानती है झूठ का करोबार हो गया हूँ मैं।
जाने दे मुझे,तू अब खुद से दूर रोकना मत
किसी का सच्चा वाला प्यार हो गया हूँ मैं।
रीवा मध्यप्रदेश
9399394911
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