कविता-मैं नारी हूं......

 



कल्पना सिंह


ईश्वर की अमूल्य कृति,

सृष्टि हूं, जीवन दात्री हूं।

मैं नारी हूं......।

 

सबके पापों का बोझ उठाती,

धीरज और आत्मविश्वास जगाती।

अज्ञानता को दूर भगाती,

रगों में जोश भर जाती।

मैं ही विद्या हूं, मैं ही शक्ति हूं,

हां,मैं नारी हूं....।

 

पीड़ा को हरकर सुख दे जाती,

घर में खुशियों के दीप जलाती।

अपना सर्वस्व न्योछावर कर जाती,

पराया धन फिर भी कहलाती।

मैं ही भाव हूं ,मैं ही भक्ति हूं

हां, मैं नारी हूं.......।

 

धरती सी सहनशीलता मैं धरती,

सुख वैभव का त्याग भी करती।

रिश्तों के ताने बाने सुलझाती,

फिर भी खुद को मैं उलझा पाती।

मैं ही पोषक हूं, मैं ही रक्षक हूं।

हां ,मैं नारी हूं......।

 

पता: आदर्श नगर, बरा, रीवा( मध्य प्रदेश)

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