मध्य प्रदेश संकट के बीच बोले संजय राउत, महाराष्ट्र में नहीं घुसेगा ‘मध्य प्रदेश वायरस’ 


नई दिल्ली/ शिवसेना नेता संजय राउत ने बुधवार को भरोसा जताया कि उनकी पार्टी के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार सुरक्षित है और मध्य प्रदेश वायरस पश्चिमी राज्य में प्रवेश नहीं करेगा। शिवसेना महाराष्ट्र में राकांपा और कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार चला रही है। वहीं, पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरने के कगार पर है क्योंकि राज्य में कांग्रेस के 22 विधायकों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। मध्य प्रदेश में राजनीतिक घटनाक्रम के बीच राउत ने कहा कि महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के लिए चिंता की कोई बात नहीं है। शिवसेना नेता ने मराठी में ट्वीट किया, मध्य प्रदेश वायरस महाराष्ट्र में नहीं घुसेगा। महाराष्ट्र की सत्ता अलग है। 100 दिन पहले एक अभियान विफल हो गया था। महा विकास अघाड़ी ने बाईपास सर्जरी की और महाराष्ट्र को बचाया।बता दें कि कांग्रेस पार्टी अपने विधायकों को भोपाल से बाहर ले जाने की तैयारी में जुट गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पहले ही अपने 100 विधायकों को राज्य की राजधानी से बाहर ले जा चुकी है, वहीं खबर है कि कांग्रेस अब अपने बचे विधायकों को जयपुर भेज सकती है। दोनों ही पार्टियों के समक्ष अपने-अपने विधायकों को बचाने की चुनौती है। कांग्रेस के 22 विधायकों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है, जिसके बाद से राज्य की कमलनाथ सरकार पर संकट बना हुआ है। वहीं दूसरी ओर भाजपा की नजर कांग्रेस के अन्य विधायकों पर है। कांग्रेस पर संकट और ना बढ़े इसलिए पार्टी के 90 और चार निर्दलीय विधायकों को बाहर भेजा जा रहा है। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि विधायकों को मुख्यमंत्री आवास पर तलब किया गया है। विधायक मुख्यमंत्री आवास भी पहुंचने लगे हैं। यहां से विधायकों को बसों से हवाई अड्डे और फिर विमान से जयपुर ले जाया जा सकता है अथवा सड़क मार्ग से कहीं और भी भेजा जा सकता है। गौरतलब है कि कांग्रेस की मंगलवार रात को मुख्यमंत्री आवास पर पार्टी विधायकों की मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ बैठक हुई थी। इसमें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि के तौर पर राष्ट्रीय सचिव सुधांशु त्रिवेदी भी मौजूद थे। इस बैठक में कुल 94 विधायक पहुंच थे।पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्येातिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। साथ ही उनके समर्थक विधायकों ने भी पार्टी से इस्तीफा दिया है। खबर है कि कांग्रेस के कई विधायक अब भी भाजपा के संपर्क में है।  वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी भाजपा के असंतुष्ट विधायकों पर नजर रखे हुए है। दोनों ही दलों में अपने विधायकों को एक जुट रखने की चुनौती है। यही कारण है कि विधायकों को भोपाल से बाहर ले जाया जा रहा है। 


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