निर्भया के दोषियों ने फांसी से बचने के लिए खटखटाया इंटरनेशनल कोर्ट का दरवाजा, 20 मार्च को मिलनी है सजा
नई दिल्ली/निर्भया के दोषियों ने फांसी से बचने के लिए फिर एक चाल चली है। इस बार निर्भया के चार दोषियों में से तीन ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। फांसी की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे निर्भया के दोषियों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। मौत की तारीख नजदीक आते ही एक के बाद एक नई-नई अर्जियां अलग-अलग जगह दाखिल कर ये सभी फांसी पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। इस बार चार दोषियों में से तीन विनय, पवन और अक्षय ने इंटरनेशनल कोर्ट का रुख किया है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर द्वारा 1945 के जून में बनाया गया था। हालांकि इसने अपना काम 1946 के अप्रैल से करना शुरू किया था। बता दें कि यह संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक अंग है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय हेग (नीदरलैंड) के शांति पैलेस में स्थित है।दिल्ली कोर्ट के द्वारा जारी डेथ वारंट के अनुसार इन सभी दोषियों को तिहाड़ जेल में 20 मार्च को फांसी होनी है। फांसी सुबह साढ़े पांच बजे होगी। इससे पहले भी दिल्ली की कोर्ट ने इनके मौत के लिए डेथ वारंट जारी किया था। मगर हर बार कानूनी दांव पेंच में फंसा कर ये दोषी अपनी डेथ वारंट को कैंसिल करवा रहे थे। कोर्ट ने इस बार चैथा वारंट जारी किया है जिसके अनुसार 20 मार्च को फांसी होनी है।निर्भया के चारों दोषियां ने इससे पहले राष्ट्रपति से दया याचिका भेजी थी जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार नहीं किया था। अब इसके बाद चारों दोषियों के परिजनों ने राष्ट्रपति को लेटर लिखकर इच्छा-मृत्यु दिए जाने की मांग की है।
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