भारत को एक साथ इस कोरोना वाायरस महामारी से लड़ने की जरूरत... सीताराम येचुरी
वामपंथी नेता ने कहा, “देश में लॉकडाउन क्यों लगाया जाता है। इसके पीछे तर्क क्या है? वास्तव में जब देश लॉकडाउन का विकल्प चुनते हैं तो वे इस समय का उपयोग व्यापक पैमाने पर परीक्षण करने के लिए करते हैं ताकि महामारी को फैलने से रोका जा सके। लोगों का परीक्षण करके संक्रमित लोगों को अलग कर दिया जाता है, और बाद में वे धीरे-धीरे लॉकडाउन को खत्म कर देते हैं। ऐसा हर देश कर रहा है। लेकिन हमारे देश में परीक्षण का पैमाना काफी कम है।
तब्लीगी जमात विवाद के बारे में जिक्र करते हुए येचुरी बोले, “किसने इन लोगों को भारत में मलेशिया और इंडोनेशिया से आने की अनुमति दी थी? क्या उनका हवाई अड्डे पर परीक्षण किया गया था या नहीं? ये ऐसे मुद्दे हैं जिनके लिए उन्हें (सरकार) जवाबदेह होना है। लेकिन अभी महामारी पर ध्यान देने की जरूरत है।”
येचुरी ने काम कर रहे लाखों नर्सों और अस्पतालों में सहायक कर्मचारियों, डॉक्टरों के बारे में बात करते हुए कहा, “हां, मैं उनके बारे में चिंतित हूं। हर किसी को उनके लिए चिंतित होना चाहिए। क्योंकि वे इस लड़ाई से लड़ने में अपने स्वास्थ्य को जोखिम में डाल रहे हैं। तो, सवाल यह है कि क्या हम अपने स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा ठीक से कर रहे हैं? उनके स्वास्थ्य को सुरक्षित करने के लिए, हमें हर दिन पांच लाख व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की आवश्यकता होती है। अब तक, हम प्रति दिन 12,000 पीपीई का उत्पादन किया जा रहा है।
गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमितों का आंकड़ा 6 हजार के ऊपर पहुंच चुका है और मरने वालों की संख्या 200 को भी पार कर चुकी है।
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