FDI नियम सख्त: भारतीय कंपनियों को चीन के कुचक्र से बचाने में जुटी सरकार

 



नई दिल्ली: एशिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन कोरोना वायरस के संकट में भी अपनी चाल चल रहा है. दरअसल, बीते दिनों चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने हाउसिंग लोन देने वाली भारत की दिग्गज कंपनी HDFC लिमिटेड के 1.75 करोड़ शेयर खरीद लिए हैं. इस खबर के बाद अब केंद्र सरकार भारतीय कंपनियों को चीन से बचाने में जुट गई है. यही वजह है कि सरकार ने विदेशी निवेश को लेकर नियमों में बदलाव किया है. हालांकि, सरकार ने इन नियमों को बदलते हुए चीन का जिक्र नहीं किया है.


नए बदलाव के तहत अब भारत की सीमा से जुड़े किसी भी देश के नागरिक या कंपनी को निवेश से पहले सरकार की मंजूरी लेनी होगी. अब तक सिर्फ पाकिस्तान और बांग्लादेश के नागरिकों/कंपनियों को ही मंजूरी की जरूरत होती थी. वहीं चीन जैसे पड़ोसी देशों के लिए इसकी जरूरत नहीं होती है. बता दें कि चीनी कंपनियों को इस तरह के कदम से रोकने के लिए कई अन्य देश पहले ही नियमों को कड़ा कर चुके हैं.


बीएसई को दी गई जानकारी के मुताबिक निवेश के बाद एचडीएफसी में चीनी केंद्रीय बैंक की हिस्सेदारी 1.01 फीसदी है. एचडीएफसी में पहले से ही कई विदेशी कंपनियों या संस्थाओं की इससे ज्यादा हिस्सेदारी है. इनमें इनवेस्को ओपनहीमर डेवलपिंग मार्केट फंड (3.33 फीसदी), सिंगापुर सरकार (3.23 फीसदी) और वैनगॉर्ड टोटल इंटरनेशनल स्टॉक इंडेक्स फंड (1.74 फीसदी) शामिल हैं.


चीन के केंद्रीय बैंक ने यह खरीदारी ऐसे वक्त में की है, जब कोरोना वायरस महामारी के कारण एचडीएफसी लिमिटेड के शेयरों में बड़ी गिरावट आई है. बता दें कि कमजोर सेंटिमेंट की वजह से मार्च तिमाही में एचडीएफसी के शेयरों में 32.29 फीसदी की गिरावट आई है. जनवरी में इस शेयर का कारोबार 2500 रुपये के आसपास चल रहा था, जो अब 1600 रुपये के स्तर पर है. इससे निवेशकों को कम दाम पर शेयर खरीदने का अवसर मिला है.


राहुल गांधी ने उठाए थे सवाल


इस पूरे मामले के बाद मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता राहुल गांधी ने सवाल उठाए थे. उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि देश में आर्थिक सुस्ती से भारतीय कॉरपारेट कंपनियां काफी कमजोर हुई हैं, इसी वजह से वे टेकओवर के लिए निशाना बन रही हैं. सरकार को इसकी इजाजत नहीं देनी चाहिए कि कोई विदेशी कंपनी इस संकट के दौर में किसी भारतीय कंपनी पर अधिकार हासिल करे.


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