सभी के सहयोग से जीती जा सकती है कोरोना की जंग
देहरादून / पूर्व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री व प्रसिद् समाज सेविका सुश्री सारिका प्रधान ने कहा कि आज पूरा देश कोरोनावायरस नामक संक्रमण से ग्रसित है और सरकार के तमाम सुरक्षा प्रबंधों के बावजूद इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या का बढ़ना चिंता का विषय है| सरकार की लॉक डाउन की घोषणा और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने का आह्वान ने इस संक्रमण को फैलने से बचाया है| पूरी दुनिया में फैले इस वायरस के संक्रमण ने लोगों की जिंदगियों को लील लिया नतीजा यह हुआ कि सभी देशों के साथ हमारे देश में भी मंदिरों मस्जिदों गुरुद्वारों और गिरजा घरों में प्रार्थना सभाएं बंद कर दी गई और लोगों से अपने घरों में रहकर पूजा इबादत करने को कहा गया यहां तक कि इस्लाम के पवित्र शहर मक्का में भी इस बार हज बंद कर दिया गया आखिर क्यों ? क्योंकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके और भयानक त्रासदी को रोका जा सके लेकिन दुख का विषय है कि बावजूद इन सब कोशिशों के कुछ कट्टरपंथी लोगों ने इसका पालन नहीं किया जिससे प्रशासन को सख्त रवैया अख्तियार करना पड़ा।इसी बीच दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज से तबलीगी जमात के लोगों का जमा होना और उसके बाद जमाती लोगों में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने से एक नया मामला तूल पकड़ गया इसके चलते सांप्रदायिक सौहार्द खराब होने के साथ मुसलमान को टारगेट बना दिया गया । यहां इस बात का उल्लेख करना जरूरी है कि जमात के लोगों के किए गए कार्यों से समस्त मुसलमानों को टारगेट करना ठीक नहीं है। एक तबलीगी जमात के गलत कदम का खामियाजा पूरी कौम को भुगतना पड़े यह चिंता का विषय है? जो किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है लेकिन बात यहां अभी खत्म नहीं हुई क्योंकि जमात से लौटे लोगों ने निकटतम थाना क्षेत्र या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अपनी आमद दर्ज करानी थी जिससे चिकित्सा विभाग अलर्ट हो जाता लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हुआ ।आखिरकार पुलिस के उच्चाधिकारियों को जमात से वापस आए लोगों को सामने आने की गंभीर चेतावनी दी गई परिणाम स्वरूप जब वह लोग सामने आए तो उसमें से कई लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए । यह चर्चा का विषय है और गंभीर सवाल भी है कि इस जानलेवा संक्रमण से आप कितनों को संक्रमित कर सकते हैं जिनमें आपके अपने सबसे ज्यादा होंगे।कोरोना जैसी महामारी को हल्के में ना लें यह खतरनाक संक्रमण है लेकिन उससे भी ज्यादा खतरनाक संक्रमण सांप्रदायिकता का है इसका भी इलाज संभव है हमें वैचारिक मतभेद भुलाकर वैचारिक सोच में बदलाव लाना होगा तभी हम इस महामारी से जीत सकते हैं ।
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