EXCLUSIVE: सैकड़ों बीघा भूमि में इंडस्ट्री लगाकर हरियाली मिटाने की साजिश


सिडकुल बना पर्यावरण का दुश्मन हजारों पेड़ सुखाए


रिपोर्ट- अमर सिंह कश्यप


विकासनगर। तहसील विकासनगर से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित छरबा गांव में ग्राम समाज की भूमि से 520 बीघा भूमि इंडस्ट्री के लिए ग्राम समाज द्वारा प्रदान की गई है। पहले से मौजूद इंडस्ट्री छरबा में चल नहीं रही हैं और उन्हें छोड़कर जाना पड़ रहा है। ऐसे में तहसील प्रशासन विकासनगर द्वारा सिडकुल को सैकड़ों बीघा भूमि का आवंटन सिडकुल और तहसील प्रशासन की मिलीभगत को दर्शाता है। इस भूमि पर खड़े हुए हजारों प्रतिबंधित प्रजाति के वृक्षों जिसमें खैर तथा शीशम के हजारों पेड़ों को अवैध तरीके से काट कर गुम कर दिया है। साथ ही 520 बीघा भूमि की आड़ में शीतला नदी को कब्ज़ाने का भी रास्ता खोल दिया है। जिस प्रकार सेलाकुई सारना नदी में 1300 मीटर लंबी दीवार नदी में लगा कर सिडकुल द्वारा कई हेक्टेयर भूमि पर कब्जा किया गया है।


उसी प्रकार छरबा में भी नदी के किनारे जमीन नाप कर दे दी गई है। जिसमें नदी श्रेणी की वह भूमि भी सिडकुल को दे दी गई है। जिस पर कब्जा किये जाने की पूर्ण रूप से तैयारी की जाएगी जो धारा 132 a नदी श्रेणी है। ऐसे में शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के द्वारा बिना जांच किए यह भूमि सिडकुल को दिया जाना शासन-प्रशासन और सिडकुल के बीच हुई सौदेबाजी को साफ दर्शाती हैं। अब इस भूमि पर खड़े हुए बेशकीमती खैर तथा शीशम के पेड़ों पर सिडकुल और वन तस्करों की मिलीभगत से सुखा कर काटा जा रहा है। जिसमें जनप्रतिनिधि अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। वन विभाग भी इसमें कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है।


 


पुलिस में दी गई रिपोर्टों पर भी कोई विशेष प्रभावी कार्यवाही अभी तक अमल में नहीं लाई गई है। जिससे वन तस्करों और सिडकुल के हौसले बुलंद हैं। लगातार पेड़ काटे जा रहे हैं। लगभग हजारों पेड़ सुखाकर काट दिए गए हैं और शेष बचे पेड़ों को सुखाने और काटने की तैयारी हो चुकी है। ऐसे में यदि शासन प्रशासन और पुलिस चुप रहते हैं तो किस पर विश्वास करें और पर्यावरण के दुश्मनों को कौन पकड़े, इसके लिए पूर्व में ग्राम प्रधान छरबा तथा नई दिशा जनहित ग्रामीण विकास समिति सहसपुर के द्वारा पुलिस तथा एनजीटी और पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार को ज्ञापन प्रेषित कर अवैध रूप से काटे जा रहे वृक्षों की जानकारी दी गई थी, लेकिन कहीं से भी कोई प्रभावी कार्यवाही ना होना शासन प्रशासन भू माफिया और वनतस्करों की मिलीभगत को दर्शाता है और अब इस भूमि पर कंक्रीट के जंगल उगाए जाने की तैयारी है। देखते हैं शासन प्रशासन कहां तक इसमें अपनी भूमिका निभाता है, और वन तस्करों के खिलाफ पुलिस क्या कार्रवाई करती है?


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