UP: 10 लाख लोगों पर बिजली बिल का बकाया
उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के बकाया भुगतान को लेकर विद्युत मंत्रालय तनाव में है. बिजली विभाग के घाटे को पूरा करने में पसीना आ रहा है. विभाग के मंत्री के मुताबिक दस लाख उपभोक्ताओं पर एक लाख से अधिक की रकम बिजली के बिल का बकाया है.
यूपी में बिजली का बिल ना देने वालों ने रिकॉर्ड बनाया है. प्रदेश में 10 लाख उपभोक्ता ऐसे हैं जिन पर एक लाख या उससे अधिक का बिल बकाया है. पूरी रकम को जोड़ा जाए तो तकरीबन 30 हजार करोड़ रुपए बैठेगा. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह रकम गोवा के 2020 के आम बजट (21 हजार करोड़) और विजय माल्या के कर्जे (9000 करोड़)के बराबर है. यह तब है जब बकाया रकम के लिए एक लाख से ऊपर वालों को शामिल किया गया है. अगर इससे कम वालों को शामिल करें तो यह राशि और भी अधिक होगी. उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन निगम लिमिटेड के रिव्यु के बाद ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बकाया बिल वसूलने में तेजी बरतने को कहा है.
क्या बोले ऊर्जा मंत्री
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बकाया राशि पर कहा कि
“यह कोई बहुत संदेह की बात नहीं है. बकाया और भुगतान में इतने अंतर के कारण यूपीपीसीएल का घाटा बढ़ते बढ़ते 70000 करोड हो गया है. COVID-19 के कारण यह स्थिति थोड़ी खराब हुई है. बिजली विभाग के इस रिव्यु के बाद पता चला है कि 1 लाख से अधिक की राशि वाले 992526 उपभोक्ताओं पर निगम का 29646.23 करोड़ रुपए बकाया है.”
चारों वितरण कम्पनियों की क्या है स्थिति
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड की चार वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के बीच हैरान करने वाला आंकड़ा सामने आया है. इन आंकड़ों में
1- वाराणसी डिस्कॉम का उपभोक्ताओं पर 11595 करोड रुपए बकाया है. क्षेत्र के 4.48 लाखों उपभोक्ताओं द्वारा 1 लाख या उससे अधिक का बिजली का बिल का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है.
2- कुछ ऐसा ही हाल आगरा का है यहां भी 9192 करोड़ रूपया 2.71 लाख उपभोक्ताओं पर बकाया है.
3- मेरठ डिस्कॉम के 4859 करोड रुपए 1.84 लाख उपभोक्ताओं पर बकाया है.
4- सबसे कम बकाया की स्थिति लखनऊ डिस्काउंट के उपभोक्ताओं की है. लखनऊ डिस्कॉम 4093 करोड रुपए 1.32 लाख उपभोक्ताओं पर बकाया है.
क्या कहते हैं राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा इतने बड़े बकाए के लिए सरकारी विभागों को जिम्मेदार मानते हैं. बकौल वर्मा
“कुल बिजली बिल के बकाया में सरकारी विभागों की बड़ी हिस्सेदारी है. एक तरफ यूपीपीसीएल अपने बकाए पर ध्यान नहीं दे रही है दूसरी तरफ घटते घाटे के चलते वह बिजली की कीमतें बढ़ाने पर भी विचार कर रही है. अगर कीमतें बढ़ी तो इसका बोझ आम आदमी पर ही पड़ेगा.”
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