18 सालो में भी नही मिला शहीद को सम्मान। शहीद के परिवार को अब सीएम त्रिवेंद्र से आस
डोईवाला-
जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा गांव में 10 जुलाई 2002 की रात्रि पाकिस्तानी समर्थित हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों से मोर्चा लेते हुए डोईवाला के लच्छीवाला निवासी सुधीर छेत्री की शहादत को 18 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक उनके सम्मान में ना ही कोई शहीद द्वार और ना ही किसी स्मारक आदि का नाम उनके नाम पर रखा गया है जिससे कि उनकी याद को संजोया जा सके और आने वाली नई पीढ़ी को उनकी शहादत के बारे में जानकारी मिल सके।
शहीद सुधीर छेत्री 10जुलाई की रात्रि को अपने प्लाटून के अन्य सैनिकों के साथ पेट्रोलिंग गश्ती के दौरान आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में चार आतंकवादियों को मारे जाने के बाद आतंकवादियों की ओर से चलाई गई गोलीबारी में एक गोली सुधीर के जांघ में लगी और दूसरी गोली उनके आंख में लगी थी जिससे कि वह वीरगति को प्राप्त हो गए थे। उस समय उनकी उम्र मात्र 22 वर्ष थी।
उस समय लच्छीवाला डोईवाला क्षेत्र में सुधीर पहले व्यक्ति थे जो कि शहीद हुए थे उस समय के क्षेत्रीय विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत आज प्रदेश के मुख्यमंत्री बन चुके हैं लेकिन शहीद की याद में आज तक कितनी सरकारें बदलने के बाद भी कोई स्मारक या सहीद द्वार नहीं बन पाया है उस समय मौजूद नेताओं द्वारा आश्वासन दिया गया था कि डोईवाला डिग्री कॉलेज का नाम शहीद सुधीर क्षेत्री के नाम पर रखा जाएगा लेकिन वह भी संभव नहीं हो सका आज 18 साल बीत जाने के बाद भी शहीद सुधीर छेत्री के माता पिता अपने शहीद पुत्र के नाम पर एक यादगार स्मारक देखना चाहते हैं।
शहीद के पिता बल बहादुर छेत्री और माता कमला क्षेत्री आज भी अपने पुत्र की शहादत को याद कर रो पड़ते हैं उस
समय के विधायक और वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से आज परिवार मांग करते हैं कि उनके शहीद पुत्र के नाम पर कोई स्मारक या किसी संस्थान का नाम रखा जाए जिससे कि वह हमेशा यादगार बना रहे।
तो वहीं शहीद के भाई अजय छेत्री भी अब सेना से रिटायर हो गए हैं उनके भाई विजय छेत्री, व समाज सेवी भारत भूषण कोशल ने मांग की कि सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए और क्षेत्र के शहीद के नाम पर शहीद स्मारक या किसी संस्थान का नाम रखना चाहिए जिससे कि उनकी यादों को संजोया जा सके।
Source : agency news
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