बिकरू कांड और वर्ष 1982 की गोंडा मे हुई मुठभेड़ की घटना मे देखें समानता
कानपुर। जिले के बिकरू कांड ने एक बार फिर वर्ष 1982 मे घटित हुई घटना की याद ताजा कर दी है। जिसमे एक डीएसपी की मौत से प्रदेश की राजनीतिक गलियारों मे हलचल मच गयी थी। और खूब हो हल्ला मचा था। डीएसपी की मौत से मामले ने तूल पकड़ लिया, और मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गयी थी। जिसमे 18 पुलिस वालों को दोषी पाये जाने पर सजा सुनाई गयी थी।
वर्ष 1982, गोंडा जिले मे हुई मुठभेड़ मे शहीद डीएसपी के पी सिंह,
आपको बताते चले कि यूपी के गोंडा जिले मे तैनात केपी सिंह यूपी पुलिस में डिप्टी एसपी थे। डीएसपी केपी सिंह बेहद कड़क और तेजतर्रार पुलिस अफसर थे। उनकी नाम सुनते ही बड़े से बड़े अपराधियों की हालत पतली हो जाती थी। ये बात 12 मार्च 1982 की है। उन्हें एक गांव में कुछ अपराधियों के छिपे होने की सूचना मिली। केपी सिंह ने पुलिस बल के साथ गांव में घेराबंदी की। दोनों ओर से गोलियां चलीं। डीएसपी केपी सिंह भी गोलेबारी में घायल हुए। बताया जाता है कि उनके अधीनस्थों की अपराधियों के साथ मिली भगत थी। अस्पताल ले जाने के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया। बाद में आरोप लगा कि डीएसपी केपी सिंह की हत्या अपराधियों की गोली से नही बल्कि उन्ही के मातहतों द्वारा की गई है।
आईएएस किंजल सिंह के माता पिता व गोद मे खुद किंजल सिंह की छोटी बच्ची के रूप मे तस्वीर
मामले ने तूल पकड़ा, तो जांच सीबीआई को सौंप दी गयी। 05 जून 2013 को निर्णय आया कि के पी सिंह की हत्या का दोषी 18 पुलिस वालों को माना जाता है, और सजा हुई थी। एक बार फिर उसी घटना से मेल खा रही एक घटना कानपुर में भी हुई है। जिसमे आरोपी को एनकाउंटर के दौरान मौत के घाट उतारा जा चुका है, लेकिन अगर पूर्व की घटना को ध्यान में रख कर विचार करें तो इसमें भी सबकुछ उसी प्रकार से हुई घटना को अंजाम दिया गया है। और कुछ पुलिस वालों को जेल भी जाना पड़ा है। जबकि इस घटना में भी एक डीएसपी की मौत हुई है।
हालांकि प्रदेश के मुखिया द्वारा उक्त मामले को लेकर एसआईटी की एक सदस्यीय कमेटी से जांच करवाई जा रही है। लेकिन सच बाहर निकलना बेहद कठिन प्रतीत हो रहा है। क्योंकि जो इस खेल में है, वह जेल में है। और अपने को सच और बेगुनाह साबित करने के लिए सच्चाई से रूबरू नही होने देंगे। जबकि अन्य पुलिस कर्मियों ने अपना मुंह बंद कर लिया है। लेकिन प्रदेश सरकार लगातार इस मामले को संज्ञान में लिए हुए है। और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही के लिए विभिन्न स्तर पर जांच करवा रही है।
आईएएस किंजल सिंह
1982 की घटना मे शहीद हुये डीएसपी के पी सिंह की दो बेटियां थी। और बिकरू कांड मे शहीद हुये डीएसपी देवेंद्र मिश्रा की भी दो बेटियाँ है। और दोनों को अच्छी शिक्षा दी जा रही है। 1982 मे शहीद हुये डीएसपी के पी सिंह की दोनों बेटियाँ किंजल सिंह और प्रांजल सिंह आज आईएएस है। पिता की मौत के समय किंजल सिंह की उम्र लगभग 06 माह की होगी। और दूसरी बेटी प्रांजल सिंह का जन्म ही पिता की मौत के लगभग 06 माह बाद हुआ था। किंजल सिंह यूपी की तेज तर्रार आईएएस अफसरों मे गिनी जाती है। और जब पिता की मौत के मामले मे आरोपियों को सजा सुनाई गयी थी, तो उस समय किंजल सिंह बहराइच जिले की जिलाधिकारी पद पर आसीन थी।
Source :Yuva gaurav
टिप्पणियाँ