कोरोना को लेकर डब्ल्यूएचओ की गंभीर चेतावनी : कहा, ठोस कदम नहीं उठाए गए तो और बिगड़ेंगे हालात
कोरोना महामारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बेहद गंभीर टिप्पणी की है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि यदि ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हालात बद से बदतर हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख डॉक्टर टेड्रोस एडनॉम गेब्रियेसस ने कहा कि जिस रफ्तार से कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, उससे पता चलता है कि एहतियात और उपायों का ठीक से पालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देश कोरोना महामारी से निपटने के मामले में गलत दिशा में जा रहे हैं।
13 जुलाई को जिनेवा में प्रेस वार्ता के दौरान डब्ल्यूएचओ प्रमुख डॉ टेड्रोस ने कहा कि दुनिया भर के नेता जिस तरह से महामारी से निपटने की कोशिश कर रहे हैं उससे लोगों का भरोसा कम हुआ है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस अब भी सबसे बड़ा दुश्मन है लेकिन कई देशों की सरकारें इससे निपटने के क्रम जो कदम उठा रही हैं, उससे ऐसा लगता कि ये कोरोना महामारी को गंभीर खतरे की तरह नहीं लिया जा रहा है। डॉ टेड्रोस ने सोशल डिस्टेंसिंग, हाथ धोना और मास्क पहनने को कोरोना संक्रमण से बचने के कारगर तरीके बताते हुए कहा कि इन्हें गंभीरता से लिए जाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में ऐसा लगता नहीं है कि पहले की तरह सब कुछ सामान्य हो जाएगा। उन्होंने कहा, ‘अगर बुनियादी चीजों का पालन नहीं किया गया तो कोरोना महामारी थमेगी नहीं और हालात बद से बदतर होते जाएंगे।’
डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन निदेशक माइक रायन ने कहा कि लोगों को वायरस के साथ जीना सीखना होगा। उन्होंने कहा, यह उम्मीद करना कि वायरस को खत्म किया जा सकता है या कुछ महीनों में प्रभावी वैक्सीन तैयार हो जाएगी, यह सच नहीं है।
वैज्ञानिकों का दावा, हवा से भी फैलता है कोरोना वायरस, डब्ल्यूएचओ को लिखा पत्र
कोरोना महामारी के बीच एक बेहद चौंकाने वाली खबर आ रही है। दुनिया के 32 देशों के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना वायरस हवा से भी फैल सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है कि कोरोना वायरस हवा के जरिए भी लोगों में फैलता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक कोरोना वायरस के छोटे-छोटे कण हवा में भी जिंदा रहते हैं और वे लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। इन वैज्ञानिकों ने इस संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को पत्र लिखकर एडवायजरी में संशोधन करने की मांग की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी एडवायजरी के मुताबिक कोरोना वायरस संक्रमण हवा से नहीं फैलता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक खतरनाक वायरस सिर्फ थूक के कणों से ही फैलता है। ये कण कफ, छींक और बोलने से शरीर से बाहर निकलते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वैज्ञानिकों ने डब्ल्यूएचओ से इस वायरस की रिकमंडेशन में तुरंत संशोधन करने का अनुरोध किया है। दुनियाभर में कोरोना वायरस संक्रमण के एक करोड़ से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इस वायरस के चलते दुनियाभर में पांच लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।
कोरोना वैक्सीन के विकास में भारत की होगी अहम भूमिका : प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। ब्रिटेन में आयोजित ‘इंडिया ग्लोबल वीक 2020′ को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बात कही। वीडियो कांफ्रेसंसिंग के माध्यम से अपने उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,’ मुझे उम्मीद है कि कोरोना वैक्सीन मिलने के बाद इसके उत्पादन और विकास में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज हमारी कंपनियां कोरोना वैक्सीन के विकास और उत्पादन के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि भारत में बने टीके दुनियाभर के बच्चों के लिए वैक्सीन की दो-तिहाई जरूरत को पूरा करते हैं।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी ने एक बार फिर दिखाया है कि भारत का फार्मा उद्योग न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक संपत्ति है। उन्होंने कहा कि भारतीय फार्मा उद्योग ने दवाओं की लागत को खासकर विकासशील देशों के लिए कम करने में अहम भूमिका निभाई है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने एक बार फिर कोरोना से निपटने के भारत के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक महामारी के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार लोगों के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था मजबूत करने पर भी पूरा ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के बीच हमारी अर्थव्यवस्था में सुधार दिखने लगा है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे खुली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और हम वैश्विक कंपनियों के लिए ऐसे अवसर प्रदान करने के लिए तैयार हैं जैसे कोई और देश नहीं दे सकता है।
डब्ल्यूएचओ ने की धारावी मॉडल की तारीफ
वैश्विक महामारी कोरोना से निपटने को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मुंबई के धारावी मॉडल की सराहना की है। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के सबसे बड़े स्लम एरिया धारावी में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में लगातार गिरावट आ रही है और पूरा इलाका कोरोना फ्री होने को है। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के अधिकारियों के मुताबिक धारावी में अब कोरोना के केवल 166 ही एक्टिव केस हैं। अधिकारियों के मुताबिक 1,952 मरीजों अब तक पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। एशिया का सबसे बड़ा स्लम एरिया धारावी 2.5 वर्ग किलोमीटर में फैला है जहां छोटे-छोटे घरों में लगभग 6.5 लाख लोग रहते हैं।
धारावी में जिस तरह कोरोना वायरस संक्रमण को नियंत्रित किया गया, उसे लेकर दुनिया भर में इस मॉडल की चर्चा है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि धारावी में कोरोना वायरस को रोकने के लिए किए गए प्रयासों की बदौलत आज ये इलाका कोरोना मुक्त होने की कगार पर है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि राष्ट्रीय एकता और वैश्विक एकजुटता के साथ मिलकर ही कोरोना महामारी को रोका जा सकता है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ट्रेडोस एडहानम गेब्रेयेसेसने ट्वीट कर कहा, ‘दुनिया भर में कई उदाहरण हैं जिन्होंने दिखाया है कि भले ही प्रकोप कितना भी ज्यादा हो, फिर भी इसे नियंत्रण में लाया जा सकता है और इन उदाहरणों में से कुछ इटली, स्पेन और दक्षिण कोरिया, और यहां तक कि धारावी में भी हैं।’
डब्ल्यूएचओ महानिदेशक ने नेतृत्व, सामुदायिक भागीदारी और सामूहिक एकजुटता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि जिन देशों में तेजी से विकास हो रहा है, जहां प्रतिबंधों को ढीला कर रहे हैं और अब मामले बढ़ने लगे हैं, उन देशों में मजबूत नेतृत्व, सामुदायिक भागीदारी और एकजुटता की जरूरत है।’
संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य प्रमुख ने कहा कि मुंबई के इस स्लम एरिया में टेस्टिंग, ट्रेसिंग, सोशल डिस्टेंसिंग और संक्रमित मरीजों का तुरंत इलाज के कारण यहां के लोग कोरोना की लड़ाई में जीत की ओर हैं।
धारावी मे एक अप्रैल को कोरोना का पहला मामला सामने आया था। पहला मामला सामने आने के बाद संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने ट्रेसिंग और टेस्टिंग पर जोर दिया। इसके तहत बड़े स्तर पर कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग, फीवर कैंप, लोगों को आइसोलेट करना और टेस्ट करना शुरू किया गया।
कोरोना महामारी सदी का सबसे बड़ा आर्थिक संकट : आरबीआई गवर्नर
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कोरोना महामारी को सदी का सबसे बड़ा संकट बताया है। एसबीआई बैंकिंग एंड इकोनॉमिक कॉनक्लेव के दौरान कहा कि, कोरोना वायरस बीते 100 सालों में सामने आया सबसे बड़ा आर्थिक और स्वास्थ्य संकट है जो उत्पादन, रोजगार और लोगों की सेहत पर अभूतपूर्व नकारात्मक असर डालेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने मौजूदा वैश्विक तंत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि इस महामारी के चलते वैश्विक आपूर्ति तंत्र, श्रम और पूंजी का प्रवाह प्रभावित हुआ है, और ये महामारी हमारे आर्थिक और वित्तीय ढांचे की मजबूती और सहन करने की क्षमता के लिएस सबसे बड़ी परीक्षा होगी।
उन्होंने हालात सुधरने की उम्मीद जताते हुए कहा कि लॉकडाउन में ढील के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के सामान्य होने के संकेत दिखने लगे हैं। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारतीय बैंकिंग और वित्तीय व्यवस्था इस संकट का मुकाबला करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने मौजूदा संकट में अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए लिए कई कदम उठाए हैं। भारतीय उद्योग जगत की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि संकट के इस समय में भारतीय कंपनियों और उद्योगों ने बेहतर काम किया है।
आठ लाख भारतीयों को छोड़ना पड़ सकता है कुवैत
पूरी दुनिया को अपनी कैद में ले चुकी कोरोना महामारी के चलते विश्वभर में करोड़ों लोगों का रोजगार छिन गया है और बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार होने के कगार पर खड़े हैं। ऐसे में दुनिया के कई देश अपने नागरिकों के रोजगार की सुरक्षा के लिए दूसरे देशों से आए कामगारों के लिए कड़े नियम बना रहे हैं।
इस क्रम में खाड़ी देश कुवैत ने भी अपने नागरिकों के हितों को देखते हुए ऐसे प्रावधानों को मंजूरी दे दी है जिनके लागू होने पर वहां काम कर रहे आठ लाख भारतीयों का रोजगार छिन सकता है।
कुवैत की नेशनल असेंबली कमेटी ने विदेशी श्रमिकों की संख्या को कम करने के संबंध में लाए गए ‘प्रवासी कोटा बिल’ को मंजूरी दे दी है।
इस बिल में दूसरे देशों के कामगारों की अधिकतम संख्या तय करने के संबंध में प्रावधान किए गए हैं। इस बिल के लागू होने की स्थिति में करीब आठ लाख भारतीयों को वापस लौटना पड़ सकता है।
कुवैत में लगभग 15 लाख भारतीय कामगार रहते हैं। पिछले महीने कुवैत के प्रधानमंत्री शेख सबा अल खालिद अल सबाह ने प्रवासियों की कुल आबादी में से 70 फीसदी घटाकर 30 फीसदी करने का प्रस्ताव रखा था।
वर्तमान में कुवैत की जनसंख्या लगभग 42 लाख है, जिसमें से तीस लाख के करीब विदेशी हैं। कोरोना महामारी के चलते तेल की कीमतों में भारी गिरावट आने के कुवैत की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अपने नागरिकों के रोजगार की सुरक्षा के साथ ही कुवैत दूसरे देशों के नागरिकों की निर्भरता को भी कम करना चाहता है।
कुवैत की नेशनल असेंबली की कानूनी और विधायी समिति से मंजूरी मिल जाने के बाद अब इस विधेयक को निर्णायक वीटे के लिए एक अन्य समिति को भेजा जाएगा।
Source :Agency news
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