कोरोना से हुई मौत बॉडी में नही थे कई अंग

(सुनील कुमार की फेसबुक वॉल से)


देहरादून /  देश मैं पिछले 24 घंटे मे रिकार्ड लगभग 40 हजार लोग कोविड़-19 से ग्रसित हुए है अभी फेसबुक पर एक रिपोर्ट देख रहा भंयदर के गौराई में एक आदमी को एक दिन में ही कोरोना से मृत्यु हो गई उसकी डेडबाडी को पैक करके परिजन को सोपते हुए डाक्टरो ने कहा कि बिना खोले अतिमं सस्कांर कर दो। परिजनो को शक होने पर उसको खोला गया तो पता चला कि उस व्यक्ति के कई अंग गायब है।


ये कोई एकेली घटना नही है मुम्बई,बिहार, मुजफ्फरनगर,में इस तरह की सैकड़ो घटनाएँ अब तक सामने आ चूकिं है।लगभग 30हजार लोगो को ये कोरोना इस देश में अपना ग्रास बना चूका है ।ये सरकारी आंकडे है जिनके शरीर को बाकयेदा पैक करके उनके परिजनो को सोपा गया है। जरूरी नही कि सभी के परिजनो ने उनके शरीर को खोलकर और देखकर ही दाह संस्कार किया हो। इन सब को देख सुनकर तो लगता है कि अस्पताल से बेहतर तो अपने घर पर ही मर जाना है- अस्पतालो में लोग वहाँ के हालातो को देखकर चिल्ला-चिल्लाकर गिड़-गिड़ाकर गुहार लगा रहें है कि प्लीज मुझे घर जाने कि अनुमति दे दिजिए।


देश के सबसे बड़े अस्पताल तक में लोग खदकुशी कर चुकें है।आज इसी डर के चलते देहरादून में भी एक आदमी ने खुदकुशी की हैं।हालात जिस तरह से बिगड़ रहें है उसे देखकर तो ऐसा लगता है कि एक पूरी पीढी हम सब को छोड़ कर चली जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।


कोरोना को लेकर हम अब तक कहां थे और अब कहां पहुंच गये…अब ये हैल्थ वारियर ही मौत के वारियर बन चूके है।इतना कमीना पन अपनी जनता के स्वाथ्य को लेकर दुनिया के किसी भी देश में नही है जो मरते हुए लोगो में व्यापार की तलाश कर रहें है उनके अंगो को नोंचकर उनमें करोड़ो रूपये की कमाई की तलाश में लग गये है ।


जिंदो को भी नोच रहे है और मरने के बाद भी रिश्तेदारो के हाथों में 30-30 लाख के बिल पकड़ा रहे है।और हम झांसे में आकर मान बैठे की कि आज नही तो कल कोरोना संक्रमित होना ही है ।


दो दिन पहले ही पटना के फोर्ट अस्पताल में एक मरीज की आक्सिजन अचानक रात 9 बजे इसलिए हटा दी गई कि जितना पैसा उसने हस्पताल में जमा किया था वो खत्म हो गया था।


ये हाल है इस मानव जनित आपदा का इस देश में.. दुसरी तरफ आपको हर हाल में कोरोना के साथ जीने कि आदत डालने को कहा जा रहा है। 


आज वाशींगटन पोस्ट ने सही सवाल किया है भारत में रहस्मयी मौतो के आंकड़ो को लेकर..!!


सही बात है दोस्तों यह कलयुग है कलयुग जिसकी शुरुआत हो चुकी है अब धीरे-धीरे पाप ऐसे ही लोग करते रहेंगे हम कितना भी बात कर ले कितना भी रो ले कितनी ही सरकारो से विनती कर ले कोई हमें कोई बचाने नही आयेगा। हमें खुद से ही खुद के लिए ही लड़ना पड़ेगा और लड़ने के लिए सबसे पहले पागल बनना पड़ेगा क्योंकि जब तक आप पागल हो करके नहीं लड़ेंगे तब तक आपकी कोई सुनेगा ही नही।


अपना और अपने परिजनो का ध्यान रखिए।


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