मोदी सरकार ने मीडिया पर शुरू की लगाम कसनीं


लखनऊ: मोदी सरकार ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को नोटिस भेजकर एक महीने के भीतर 84 करोड़ जमा कराने को कहा है । वरना संसद मार्ग वाला दफ़्तर खाली करना होगा । चीन के राजदूत का इंटरव्यू छापने के लिए प्रसार भारती ने PTI को एन्टी-नेशनल कहा था । अब सरकार की परमिशन से ख़बर छापना होगा वरना कार्रवाई ।कौन कहता है कि भारत में इमरजेंसी के हालात नहीं हैं? बेंगलुरु से अभी एक मित्र ने बताया-लोग अपना बोरिया-बिस्तर लपेटकर भाग रहे हैं । हाईवे जाम है । आईटी सिटी खाली होने लगी है । भोपाल में भी यही हाल है। लोग शहर छोड़कर दूर जा रहे हैं। 


कोरोना रोज़ का 30 हजारी बनने के कगार पर है और जैसी कि उम्मीद थी, महामारी के शीर्ष पर होने में अभी भी 2 महीने से ज़्यादा बाकी हैं । अभी एक और देशव्यापी लॉक डाउन की नौबत है ।लेकिन मोदी सरकार को ग्राफ फ्लैट नज़र आता है । सरकार चाहती है कि मीडिया भी यही कहे, दिखाए कि सब ठीक है। PTI का मामला एक नज़ीर है । मीडिया को ग़ुलामी करनी ही होगी। विज्ञापन तो ठीक, सरकार तो पैरों तले जमीन खिसकाने पर उतर आई है । 


आज राजस्थान में गहलोत सरकार के विधायक दल की बैठक में सचिन पायलट समर्थक दर्जन भर विधायक कम थे । ANI ने लिख दिया, 20 कम हैं । सूत्रों के हवाले से । उसके सूत्र कौन हैं, सब जानते हैं। फिर भी ANI विश्वसनीय है । गलवान से चीन की सेना ANI ने ही कई बार लौटाई । चीन में सरकारी मीडिया है । सरकार का तोता । मोदी सरकार भी चाहती है कि यहां भी मीडिया तोता बन जाये । सरकार की मिर्च खाए और राम-राम बोले । डिजिटल की नौकरी छोड़कर साल भर का ब्रेक लेने वाले एक शागिर्द ने विकल्प पूछा तो मेरा जवाब था-मोहल्ला स्तर पर डिजिटल अखबार निकालो । 


दक्षिण भारत में यह प्रयोग शुरू हो चुका है। गली-मोहल्ले से 2-4 पेज के अखबार निकलने लगे हैं । व्हाट्सअप में बने समूहों में खबरों का आदान-प्रदान होता है। लोग सब्सक्राइब भी कर रहे हैं । महीने का 25 रुपया । आज़ादी से पहले इसी तरह के हज़ारों अखबार निकलते थे ।लगता है फिर वही दौर लौट रहा है । PTI रहे न रहे, सूचनाएं कभी ज़ाया नहीं होंगी ?


Source :Agency news 


टिप्पणियाँ