न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खण्डपीठ ने जनहित याचिका पर अमनमणि त्रिपाठी को स्पेशल पास दिए जाने पर सवाल खड़े किए
रिपोर्ट- कमल जगाती
उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश द्वारा उत्तर प्रदेश के विधायक अमनमणि सहित 10 लोगों को पास जारी कराने के मामले में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक तथा मुख्य सचिव को कार्यवाही करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि, 31 जुलाई तक कार्यवाही करके हाई कोर्ट को बताया जाए। इस आदेश के साथ ही हाईकोर्ट ने पत्रकार उमेश कुमार की जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है।
गौरतलब है कि, मई माह में उत्तर प्रदेश के बाहुबली विधायक अमनमणि त्रिपाठी सहित 10 लोगों को बद्रीनाथ जाने के लिए अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के आदेश पर एडीएम देहरादून ने पास जारी किया था। लॉकडाउन के दौरान स्पेशल पास जारी करने को लेकर उत्तराखंड में आम जनता में व्यापक विरोध शुरू हो गया था। इस दौरान अमनमणि ने अपने लोगों के साथ चमोली जिले के प्रशासन के साथ बदसलूकी भी की थी।
पर्वतजन ने इसको लेकर सवाल उठाया तो वापसी में मुनी की रेती पुलिस ने अमनमणि और उनके लोगों के खिलाफ लॉकडाउन उल्लंघन का मामला दर्ज कर लिया था। इसके बाद अमनमणि हरिद्वार पुलिस से भी अभद्रता कर बैठे अभद्रता कर बैठा था। इसका परिणाम यह हुआ कि उत्तर प्रदेश में अमनमणि के काफिले की गाड़ियां भी सीज हो गई और वहां भी उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया था, तथा उन्हें क्वारंटाइन कर दिया गया था।
उत्तराखंड में स्पेशल पास जारी करने को लेकर उत्तराखंड सरकार पर भी सवाल खड़े हुए थे। इनको उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता के पितृकर्म कराने के नाम पर पास जारी किया गया था। यह पास जारी करने पर योगी आदित्यनाथ के उत्तराखंड निवासी भाइयों ने भी सवाल खड़े किए थे। किंतु जब उत्तराखंड सरकार ने स्पेशल पास जारी करने वाले अफसर ओम प्रकाश के साथ ही किसी के खिलाफ भी कार्यवाही नहीं की तो फिर पत्रकार उमेश शर्मा इस मामले को लेकर हाई कोर्ट चले गए थे।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खण्डपीठ ने जनहित याचिका पर अमनमणि त्रिपाठी को स्पेशल पास दिए जाने पर सवाल खड़े किए। चीफ जस्टिस की बेंच ने इस पर सुनवाई करते हुए आज इस मामले को निस्तारित कर दिया तथा पुलिस महानिदेशक सहित मुख्य सचिव को भी 31 जुलाई तक कार्यवाही करके अवगत कराने के आदेश दे दिए हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि हाईकोर्ट के डंडे के बाद उत्तराखंड सरकार क्या कार्यवाही करती है !
Source :Parvatjan
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