प्रवासियों के लिए मिसाल से कम नहीं मनीष, 15 साल नौकरी के बाद पहाड़ में स्थापित की रेस्टोरेंट चेन


देहरादून। कोरोना के चलते हजारों की संख्या में देश के कोने कोने में बसे उत्तराखंडी या यूं कहें प्रवासी वापस लौट तो आए हैं लेकिन अभी वे पहाड़ में अपने भविष्य को लेकर संशकित हैं। हालांकि संभावनाओं से भरे पहाड़ में समझदारी से उठाए गए कदम किसी की भी किस्मत बदलने का माद्दा रखते हैं। इसी तरह का एक उदाहरण पेश कर रहे हैं रुद्रप्रयाग जिले के मनीष जोशी। देश के नामचीन होटल्स में पंद्रह साल नौकरी करने के बाद मनीष ने रुद्रप्रयाग से एक रेस्टॉरेंट चेन की शुरुआत की थी जो अब लगातार विस्तार ले रही है।


ये है खास



पालक मोमो हो या पौष्टिक दालों के बने स्प्राउट मोमोज या स्पेश्ल हेंड मेड पिज्जा ये सब आपको पहाड़ के नोनीज रेस्टोरेंट में मिल जाएगा. फाइव स्टार होटलों में 15 साल नौकरी करने के बाद वापस गांव लौटे एक युवा ने पहाड़ो में रोजगार की कमी के कारण पलायन का जुमला भरने वाले लोगों को आईना दिखाने का काम किया है.


इन ब्रांड्स में की नौकरीआईटीसी फ़ॉर्चुन,द लीला गोवा, मेरिएट कोर्टयाड, गैलेक्सी में काम करने के बाद उत्तराखंड के दूरस्थ जिले रुद्रप्रयाग के मयकोटी गांव निवासी मनीष जोशी ने पलायन को चुनौती देते हुए वापस पहाड़ का रुख किया और पिछले पांच सालों की मेहनत के बाद अपने फास्टफूड रेस्टोरेंट का ब्रांड स्थापित किया है.



 नोनीज चेन किया स्थापित


नोनीज फास्टफूड रेस्टोरेंट की बदौलत मनीष ने पहाड़ में अपने स्वाद और ब्रांड की अलग पहचान स्थापित की है. रुद्रप्रयाग के गुलाबराय से शुरु इस फास्टफूड रेस्टोरेंट की चेन अब मनीष पहाड़ के पांच कस्बो अगस्त्यमुनी, श्रीनगर,कर्णप्रयाग, गोपेश्वर और गौचर में खोलने जा रहे हैं. शुरुआती चुनौतियों को पार पाते हुए मनीष ने पहाड़ में फिलहाल 3 युवाओं को रोजगार भी दिया है.


घरवालों ने दिया हौंसला


मनीष जोशी बताते हैं कि साल 2000 में BSc करने के बाद उन्होंने होटल मेनेजमेंट की डिग्री हासिल की तो उन्होंने लुधियाना से नौकरी की शुरुआत की. करीब 15 साल पांच सितारा होटलों में नौकरी करने के बाद 2014 में जब वे सिर्फ 34 साल के थे तो उन्होंने अपने डेढ दशक के कैरियर को दांव पर रखकर पहाड़ का रुख करने की ठानी. शुरुआत में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा लेकिन पत्नी ज्योती और घरवालों के सपोर्ट से मनीष बुलंद हौसलों के साथ आगे बढे. जिसका परिणाम ये रहा कि रुद्रप्रयाग जैसे छोटे मार्केट में मनीष ने पालक मोमोज और स्प्राउट मोमोज की खोज कर नई रेसेपी तैयार की. मनीष की इस खोज को लोगों ने खूब पसंद किया. मनीष के फास्टफूड रेस्टोंरेट के स्वाद का हर कोई कायल है. अधिकारी हों या फिर बच्चे या नौकरी पेशे वाले लोग. हर एक मनीष के व्यौहार और उनके काम से खुश हैं मनीष ने रुद्रप्रयाग जैसे छोटे कस्बे में आज से 4 साल पहले ही डिजिटल पेमेंट की भी शुरुआत कर दी थी. यानी कैशलेश डिजिटल इंडिया की पहल को भी मनीष ने आगे बढ़ाने का काम किया है|


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