त्रिवेंद्र सरकार के खिलाफ बेरोजगारों का फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप्प पर हल्ला बोल। दो लाख से अधिक बेरोजगारों ने लिया अभियान में हिस्सा


रिपोर्ट- जगदंबा कोठारी


इस वर्ष को ‘रोजगार वर्ष’ के रूप में मनाने का नाटक करने को लेकर शिक्षित बेरोजगार सरकार की जमकर खिंचाई कर रहे हैं। 18000 पदों पर नियुक्ति के सरकार के झूठे आश्वासनों के बाद अब प्रदेश के शिक्षित बेरोजगारों के सब्र का बांध टूटने लगा है और उन्होंने अब प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ सोशल मीडिया में एक मुहिम छेड़ दी है। जिसके लिए उत्तराखण्ड के युवाओं ने सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर त्रिवेन्द्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया है। 23 जुलाई को इन सभी बेरोजगारों ने बेरोज़गारी के मुद्दे पर सरकार के ख़िलाफ़ फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप पर ट्रेंड चलाया है, जो दिनांक 23 जुलाई सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक चला। लगभग दो लाख बेरोजगार युवक- युवतियों ने इस कैंपेन में हिस्सा लिया। इस कैंपेन की तैयारी पिछले दस-बारह दिनों से चल रही थी।


बेरोजगार संघ ने एक दिन का सोशल मीडिया पर अभियान चलाया। जिसमे प्रदेशभर के बेरोजगार युवाओं ने सरकार के प्रति अपना विरोध जताकर शीघ्र भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की चेतावनी दी। लंबे समय से भर्ती का इंतजार कर रहे हजारों युवा अब ओवरएेज हो चुके हैं। जिससे उनकी सालों की मेहनत बर्बाद हो गई है। वहीं नये युवा जो भर्ती की तैयारी कर रहे हैं, भर्ती ना निकलने के कारण उनमें भी सरकार के प्रति रोष है।



इन शिक्षित युवाओं का कहना है कि, पिछले 3 साल से उत्तराखण्ड त्रिवेन्द्र सरकार द्वारा अख़बारों के माध्यम से प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले, उत्तराखण्ड के छात्रों को हजारों झूठी भर्तियां निकालने का आश्वासन देकर धोखा दिया गया है। जिसमें खुद मुख्यमंत्री त्रीवेन्द सिंह रावत द्वारा 18000 विज्ञप्ति निकालने का झूठा आश्वासन युवाओं को दिया गया था। लेकिन उत्तराखण्ड मे नयी भर्तियां नही निकल सकी। लंबे समय से प्रदेश मे सरकारी नौकरियों के लिए वैकेंसी नही निकली है,जिससे युवा अपने भविष्य के लिए चिंतित हो गये हैं।


काफी समय से सरकारी नौकरी की आस मे तैयारी कर रहे इन युवाओं की उम्र भी निकली जा रही है। पहाड़ के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार और प्रदेश मीडिया प्रभारी शुभम सैनी ने बताया कि सरकार लंबे समय से बेरोजगारों के साथ छलावा कर रही है, इनकी भर्तियां बस अखबारों तक सीमित है। सरकार को जुलाई माह तक का समय दिया गया है। यदि अगले महीने इन पदों पर विज्ञप्ति जारी नहीं हुई तो बेरोजगार संघ मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेगा। उसकी जवाबदेही शासन और प्रशासन की होगी।



बिना पदों के निकाल दी भर्ती


वन दरोगा भर्ती पदों पर मुख्यमंत्री ने बिना प्रदेश में पद सृजित किए 316 पदों पर भर्ती के आदेश दे दिए। जबकि भर्ती केवल 29 पदों के लिए निकालनी थी। इन 316 पदों पर सरकार द्वारा केवल फॉर्म भरा कर बेरोजगारों को गुमराह किया गया। पुलिस कांस्टेबल भर्ती के लिए भी मुख्यमंत्री ने 17 सौ पदों की घोषणा कर दी। जबकि आरटीआई से खुलासा हुआ कि पुलिस विभाग में कांस्टेबल का एक भी पद रिक्त नहीं है।



सिर्फ अखबारों तक ही सीमित है भर्तियां


प्रदेश में हजारों पद ऐसे हैं जिन पर प्रदेश सरकार ने बस अखबारों तक ही भर्ती जारी की है। इनमें प्रमुख हैं


● वन दरोगा के 316 पद बताकर फॉर्म भरवाये और बेरोजगारों को गुमराह किया गया


● V.D.O, V.P.D.O के पदों पर 2 सालों से कई बार अखबार पर भर्ती सिर्फ अखबारों में ही निकली है, धरातल पर नहीं।


● उत्तराखंड फारेस्ट गार्ड का पेपर इतने सालों बाद हुआ लेकिन वो भी शांति पूर्वक नहीं हो पाया। यह भर्ती भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई और अभी तक उसकी एसआईटी जांच रिपोर्ट तक पूरी नहीं हुई है।


● उत्तराखंड पुलिस कांस्टेबल की भर्ती 2014 से नही आयी। जबकि मुख्यमंत्री ने 1700 पदों पर भर्ती के लिए आदेश जारी किया था। इनमें 1400 पुलिस कांस्टेबल एवं 300 पदों पर फायर ब्रिगेड के लिए भर्ती होनी थी। उत्तराखंड के हजारों युवा इंतजार करते करते थक गये। कईयो की तो तैयारी करते उम्र भी निकल चुकी है लेकिन भर्ती नहीं आयी।


● उत्तराखंड PCS की भर्ती 2016 से नहीं आयी


● प्रवर्तन सिपाही और आबकारी सिपाही फिजिकल पूर्ण होने के बाद लिखित परीक्षा नही हो पायी है।


● प्रदेश में 900 पदों पर 6 माह के भीतर नर्सों की भर्ती का आश्वासन भी सीएम ने अखबार के माध्यम से दिया था। अब इसको अरसा गुजर चुका है लेकिन भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। ऐसे ही दर्जनों पदों पर हजारों भर्ती का आश्वासन माननीय त्रिवेंद्र रावत जी ने दिया था।


प्रदेश में तेजी से बढ़ रही है बेरोजगारी


प्रदेश में बेरोजगारों की दर प्रतिदिन आसमान छू रही है। वहीं प्रदेश के मुखिया का कहना है कि प्रदेश में बेरोजगारी की दर -1% है। जबकि हकीकत तो यह है कि प्रदेश में बेरोजगारों की फौज में 14% की दर से वृद्धि हो रही है। ऐसे में सरकार द्वारा -1% की बेरोजगारी दर की बात करना हास्यप्रद है।


प्रवासियों को रोजगार दिलाना बहुत बड़ी चुनौती


एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में लगभग साढ़े तीन लाख से अधिक प्रवासी कामकर अपने घर लौटे हैं। जिनके पास अब तो ना कोई रोजगार है न ही आय का कोई स्रोत। उन को रोजगार देना भी सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।


सरकार के लिए सर दर्द बन सकती है बेरोजगारों की यह फौज


प्रदेश में अभी तक पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या लगभग 9 लाख के करीब है और घर लौटे प्रवासी उत्तराखंडियों की संख्या भी लाखों में है। और ऐसे में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। अगले विधानसभा चुनाव में बेरोजगारों की यह बड़ी फौज अगर सरकार के खिलाफ हो जाए तो यह त्रिवेंद्र सरकार के लिए सरदर्द बन सकती है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि अपनी नीतियों में बदलाव कर रिक्त पड़े पदों पर अति शीघ्र भर्ती प्रक्रिया का रास्ता साफ किया जाए।


Source :Parvatjan 


 


 


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