उत्तराखंड बेरोजगार संघ पुलिस विभाग में फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे लोगों के खिलाफ खोलेगा मोर्चा दोषियों के खिलाफ होगी कड़ी कार्यवाही


उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष *बॉबी पंवार* का कहना है कि आरटीआई में हुए खुलासे के बाद उत्तराखंड के भ्रष्ट तंत्र की काली करतूतें सबके सामने आ गई है।जिससे की यह तय हो गया है,कि किस प्रकार उत्तराखंड में मूल निवासियों और योग्य युवाओं का हक मारा जा रहा है।जिस प्रकार नेताओं एंव अधिकारियों की शिफारिश से इन लोगों को नौकरी दी गई है ये प्रदेश के योग्य छात्रों के साथ छलावा है। जिसका पूरजोर विरोध किया जाएगा और दोषियों को सलाखों के पीछे भेजा जाएगा। आरटीआई में तमाम विभागों ने चौंकाने वाले जबाव दिए जिससे सारी सच्चाई सामने आ गई है।


*देहरादून एसएसपी आॅफिस का जवाब*


बात करें देहरादून एसएसपी आॅफिस की तो सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांगने के बाद विभाग से जो जबाव आया वह काफी हैरान करने वाला था। एसएसपी आॅफिस ने सूचना के अधिकार के तहत बताया कि आपकी द्वारा मांगी गयी सूचना के संबध में अवगत कराना है कि आवेदक द्वारा वर्णित शासनादेश इस कार्यालय में संचित नहीं है और ना ही 28 फरबरी 1996 के बाद इनकी सेवाओं को जारी रखने के संबध में इस कार्यालय में कोई भी शासनादेश संचित नहीं है। उनके यहां उर्दू अनुवादकों के लगभग 10 पद हैं। जो कि विगत 28/2/ 1996 को स्वतः ही समाप्त हो गये थे। सवाल यह उठता है कि अगर यह पद 1996 में स्वतः ही समाप्त हो गये थे तो इन पदों पर आजतक कर्मचारी किस आधार पर काम कर रहे हैं और उन्हें किस आधार पर उन्हें वेतन दिया जा रहा है। यह पूरा प्रकरण एक बड़े भ्रष्टाचार की तरफ ईशारा कर रहा है।


*उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय का जवाब*


बता करें उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय की तो वहां भी उर्दू अनुवादकों के पद पर कर्मचारी कार्यरत हैं। सूचना के अधिकार के तहत पुलिस मुख्यालय ने भी एसएसपी आॅफिस की तरह ही जवाब दिया है कि पद 28/2/ 1996 को स्वतः ही समाप्त हो गये थे। पुलिस मुख्यालय ने अपने जवाब में कहा है कि हमने इन्हें शासनादेश संख्या 80सीएम/47-का-94-15-10-94 दिनांक 20 अगस्त 1994 और जीओ संख्या 80सीएम/47-का-94-15-10-94 दिनांक 03/02/1995 के आधार पर उर्दू अनुवादकों के पद पर नियुक्ति दी थी। जिसमें साफ तौर पर लिखा गया है कि यह पद 28/2/1996 को स्वतः ही समाप्त हो जायेंगे। अगर ऐसा है तो इन पदों को आजतक समाप्त क्यों नहीं किया गया। बड़ा सवाल यह है कि जब इन पदों का गजट नोटिफिकेशन हुआ ही नहीं था। फिर किस आधार पर इन पदों पर कर्मचारी आज तक काम कर रहे हैं और किस आधार पर आज तक उन्हें प्रमोशन दिया गया है।


*जिलाधिकारी कार्यालय का जवाब*


वहीं बात करें जिला अधिकारी कार्यालय की तो सूचना के अधिकार के तहत वहां से भी यही जवाब आया कि उर्दू अनुवादकों के पद 28/2/ 1996 को स्वतः ही समाप्त हो गये थे। एंवम् इन पदों का कभी भी गजट नोटिफिकेशन सरकार द्वारा आजतक नहीं किया गया था।


*आबकारी महकमें का भी यही हाल*


आबकारी महकमें भी यही हाल हैं। विकेश सिंह नेगी द्वारा आबकारी विभाग में तैनात इंस्पेक्टर शुजआत हुसैन की नौकरी को चुनौती मामले में सरकार की तरफ से नैनीताल हाईकोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया गया है। सरकार ने खुद हाईकोर्ट में इस बात को स्वीकार कर लिया है कि देहरादून में तैनात इंस्पेक्टर शुजआत हुसैन कानून नौकरी में हैं ही नहीं। इसके बावजूद हुसैन को सेवा में अभी तक कैसे रखा है, इसका जवाब सरकार के पास नहीं है। उनके साथ ही उधमसिंह नगर में तैनात इंस्पेक्टर राबिया का मामला भी शुजआत की तरह का ही है।


*कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग-2 का जवाब*


कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग ने सूचना के अधिकार के तहत उर्दू अनुवादकों को लेकर मांगी गई जानकारी के तहत जवाब दिया कि कार्यालय में इसको लेकर कोई रिकार्ड धारित नहीं है। जवाब में कहा गया कि आप उक्त सूचना उत्तर प्रदेश राज्य से प्राप्त करने का कष्ट करें।


*उत्तराखंड और बुंदेलखंड में थे ही नहीं उर्दू अनुवादकों के पद*


इस मामले में देहरादून के समाजसेवी विकेश सिंह नेगी का कहना है कि उर्दू अनुवादकों के पद आबकारी विभाग के लिये बुंदेलखंड और उत्तराखंड नहीं थे। विकेश कहते है किं उत्तर प्रदेश में सन 1995 से ही इस फर्जीबाड़े की शुरूआत हुई। विकेश के मुताबिक यूपी की मुलायम सरकार ने उर्दू अनुवादक और कनिष्ठ लिपिक पद पर सिर्फ भरण पोषण के लिए रखा था। उस समय भी इन दोनों के नियुक्ति पत्रों में साफ लिखा था कि यह नियुक्ति सिर्फ 28-2-1996 को स्वतः ही समाप्त हो जायेगी। फिर कैसे आज तक इन पदों पर कर्मचारी सरकारी सेवाओं का लाभ ले रहे हैं। आखिर कौन है वह जिसकी मिलीभगत से सरकार को करोड़ो रूपये का चूना हर माह लग रहा है।


यदि शाशन प्रशासन इनके खिलाफ जल्द ही कोई ठोस कार्यवाही नहीं करता तो उत्तराखंड बेरोजगार संघ इसके लिए एक *बड़ा आन्दोलन* किया जाएगा।


Source :Agency news 


टिप्पणियाँ