एक बरसात में ‘धड़ाम’ हो गई करोड़ों से बनी सुरक्षा दीवार
लक्ष्मण सिंह नेगी
ऊखीमठ / तुंगनाथ घाटी की ग्राम पंचायत उषाडा के ताला तोक के निचले हिस्से व आकशकामिनी नदी के किनारे विगत वर्ष बने लगभग 1 करोड़ 42 लाख रुपये की लागत से बनी सुरक्षा दीवालों के निर्माण में यदि घोर लापरवाही नहीं बरती जाती तो आज ताला तोक के लगभग 45 परिवारों पर खतरा नहीं मडराता।
सुरक्षा दीवालों के एक ही बरसात में धराशायी होने से कार्यदाही संस्था सिचाई विभाग की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में आ गयी है। ग्रामीणों का आरोप है कि सुरक्षा दीवालों के लिए स्वीकृत धनराशि धरातल पर कम व सिचाई विभाग के अधिकारियों की जेब में अधिक व्यय हुआ है। ताला तोक के निचले हिस्से में आकाशकामिनी नदी के कटाव से हो रहे भूधसाव की रोकथाम के लिए शासन से पुनः इतनी बड़ी धनराशि व्यय हो पायेगी यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है। विदित हो कि तुंगनाथ घाटी की ग्राम पंचायत उषाडा के ताला तोक में वर्ष 1992 से भूधसाव हो रहा था। 23 मई 2016 को ताला तोक के ऊपरी हिस्से में बादल फटने से दस मवेशी जिन्दा दफन हो गये थे तथा दस गौशालाएं क्षतिग्रस्त होने के साथ – साथ काश्तकारों की कई हेक्टेयर सिंचित व असिंचित भूमि तबाह होने के कारण चार दर्शन से अधिक परिवार खतरे की जद में आ गये थे। ताला तोक के ऊपरी हिस्से में बादल फटने के बाद केन्द्र सरकार के सयुंक्त सचिव सतपाल चौहान के नेतृत्व में आईएमसीटी के दो सदस्यीय टीम ने तुंगनाथ घाटी के विभिन्न तोको का निरीक्षण कर सर्वे रिर्पोट प्रदेश सरकार को सौपी थी।
सर्वे रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा गया था कि आकाशकामिनी नदी के बहाव से हो रहे कटाव के कारण भूधसाव हो रहा है तथा भविष्य में इस भूधसाव से बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है जबकि स्थानीय जनता भी 1992 से लगातार ताला तोक के निचले हिस्से में सुरक्षा दीवालों के निर्माण की मांग करती आ रही थी। स्थानीय जनता का मांग पर अमल करते हुए तत्कालीन अपर सचिव डा0 मेहरबान सिंह बिष्ट ने नौ अगस्त 2017 को जनपद स्तरीय अधिकारियों को ताला तोक में हो रहे भूधसाव को रोकने के निर्देश दिये! जिला प्रशासन की सर्वे रिर्पोट के आधार पर 2018 के अन्त में ताला तोक में हो रहे भूधसाव की रोकथाम के लिए लगभग एक करोड़ 42 लाख रुपये की वित्तीय स्वीकृति मिली तथा आकाशकामिनी नदी के किनारे सुरक्षा दीवालों के निर्माण का जिम्मा सिचाई विभाग को दिया गया। सुरक्षा दीवालों के निर्माण का जिम्मा मिलते ही सिंचाई विभाग ने विगत वर्ष मार्च महीने में सुरक्षा दीवालों का निर्माण कार्य शुरू तो किया मगर विभागीय अधिकारी धरातल पर कार्य करवाने के बजाय होटलों में आराम फरमाते रहे परिमाण स्वरूप कुछ सुरक्षा दीवाले विगत वर्ष तो कुछ दीवाले इस वर्ष आकाशकामिनी नदी के वेग में समाने से समस्या जस की तस बनी हुई है। ग्रामीणों का आरोप है कि सुरक्षा दीवालों में बजट कम व विभागीय अधिकारियों की जेबों में अधिक व्यय हुआ है । ग्रामीण महिपाल बजवाल का कहना है कि यदि सुरक्षा दीवालों का निर्माण धरातल पर होता तो शासन से स्वीकृत धनराशि की बन्दर बांट भी नहीं होती तथा ताला तोक के 45 परिवारों को खतरा ही नहीं होता।
लक्ष्मण सिंह नेगी।
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