हाईकोर्ट ने बदहाल कोरेंटीन सेंटरों और अस्पतालों की अव्यवस्था पर प्रदेश सरकार से 17 सितम्बर तक मांगी रिपोर्ट
नैनीताल / देश और प्रदेश में कोरोना सक्रंमित मामलें लगातार सामने आ रहे हैं. ऐसे में कई ऐसी भी खबरें सामने आई हैं. जिसमें अस्पातालों की बदहाल व्यवस्था के बारे में बताया गया है. इसी को ध्यान में रखते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में सभी क्वारंटीन सेंटरों और कोरोना अस्पतालों की बदहाल व्यवस्था के मामले पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद प्रदेश सरकार से पूछा है कि कोरोना सक्रंमित मरीज़ो के इलाज में डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी मानकों का कितना अनुपालन किया जा रहा है. नैनीताल हाई कोर्ट ने 17 सितंबर तक इसकी पूरी रिपोर्ट शपथपत्र के माध्यम से पेश करने के निर्देश दिए हैं.
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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ और न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई. हाईकोर्ट के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने प्रदेश के 6 अस्पतालों को कोविड-19 के रूप में स्थापित किया है, लेकिन इन अस्पतालों में कोई भी आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं.
जिसके बाद देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने भी उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी.
बदहाल क्वारंटीन सेंटरों के मामले में जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश कर माना कि प्रदेश में सभी क्वारंटीन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं. इसके साथ ही सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है, न ही ग्राम प्रधानों के पास कोई फंड उपलब्ध है.
मामले को गंभीरता से लेते हुए पूर्व में हाईकोर्ट ने सरकार और स्वास्थ्य सचिव को जवाब पेश करने का आदेश दिया था. इस आदेश के तहत जिला विधिक प्राधिकरण की रिपोर्ट के आधार पर क्वारंटीन सेंटरों की कमियों को 14 दिन के अंदर दूर कर विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा था.
Source :Agency news
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