जब जम्मू कश्मीर में समान अधिकार की बात की जाती है तो फिर भाजपा शासित मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरियां सिर्फ स्थानीय लोगों को ही क्यों ?
जयपुर / साल भर पहले जब जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किया गया तब केन्द्र सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि अब जम्मू कश्मीर में भी अन्य राज्यों के युवा रोजगार प्राप्त कर सकेंगे। अब जम्मू कश्मीर में भी देश के हर नागरिक को समान अधिकार होगा। कहा गया है कि 370 की वजह से जम्मू कश्मीर देश से कटा हुआ था। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने पर देशवासियों ने स्वागत भी किया। स्वतंत्रता दिवस में राज्यों की सीमाओं में विभाजित नहीं किया जा सकता है। कोई भी राज्य देश के संविधान के विपरीत कोई निर्णय नहीं ले सकता। लेकिन भाजपा शासित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने संविधान के विपरीत जा कर सरकारी नौकरियां सिर्फ मध्यप्रदेश के युवाओं को ही देने का फैसला किया है। शिवराज उसी पार्टी के अंग है जिसकी सरकार केन्द्र में भी है। सवाल उठता है कि एक तरफा फैसला करने से पहले क्या शिवराज ने केन्द्र सरकार से अनुमति ली है? केन्द्र की अनुमति पर शिवराज को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। शिवराज माने या नहीं लेकिन उनके इस फैसले से जम्मू कश्मीर पर केन्द्र सरकार की नीति को धक्का लगेगा। हालांकि अभी मुख्यमंत्री ने कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया है। सिर्फ एक वीडियो जारी कर अपना फैसला सुनाया है। लिखित आदेश के बाद ही कोई स्थिति स्पष्ट होगी।
सवाल यह भी उठता है कि जब मध्यप्रदेश में प्रदेशवासियों को ही नौकरियां मिलेंगी तो फिर राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में मध्यप्रदेश के युवाओं को नौकरी क्यों दी जाए? यदि हर राज्य ऐसे निर्णय करने लगेंगे तो देश में संवैधानिक संकट खड़ा हो जाएगा। राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में मध्यप्रदेश के जो लोग नौकरियां कर रहे हैं उनको भी नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। जहां तक शिवराज के फैसले पर कांगे्रस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह की प्रतिक्रिया का सवाल है तो इस पर श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी को कांग्रेस की स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। दिग्विजय सिंह ने कहा है कि शिवराज ने हमारी पुरानी मांग पूरी कर दी है। यानि दिग्विजय सिंह भी चाहते हैं कि मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरियां सिर्फ प्रदेशवासियों को ही मिले। कांग्रेस नेतृत्व पहले भी कई मौकों पर शिवराज सिंह के बयानों से पल्ला झाड़ चुका है। अब यदि दिग्विजय सिंह के बयान से कांग्रेस नेतृत्व किनारा नहीं करता है तो फिर कांगे्रस शासित राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ आदि में भी ऐसी मांग हो सकती है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भी दबाव पड़ेगा कि वे भी शिवराज की तरह घोषणा करें। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की घोषणा का सबसे ज्यादा असर राजस्थान पर ही पड़ेगा, क्योंकि दोनों प्रदेशों की सीएम जुड़ी हुई है।
Source :Agency news
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