ख़बर उत्तराखंड उत्तराखंड में 600 करोड़ का चावल घोटाला, स्पेशल ऑडिट में सामने आया प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला
देहरादून / उत्तराखंड में चावल घोटाला सामने आया था। इस घोटाले की जांच एसआईटी ने की थी और करीब 600 करोड़ रुपये के घोटाले का अनुमान जताया था। गरीब के कोटे के चावल में हेराफेरी से लेकर अन्य कई मामले सामने आए थे। इसमें कुछ अधिकारियों को निलंबित भी किया गया था। अब स्पेशल ऑडिट में भी सामने आया है कि इस घोटाले में हर स्तर पर खेल खेला गया। यह घोटाला 2016-17 की तत्कालीन सरकार के समय का है।
नोटबंदी का भी फायदा लिया गया और बोरों तक में करोड़ों के रुपये बनाए गए। रिपोर्ट के मुताबिक खाद्य सुरक्षा में ही सरकार को इससे करीब 18 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। बोरों की प्रतिपूर्ति में ही 43 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान दिखाया गया। यह तब है जबकि स्पेशल ऑडिट टीम संबंधित पक्षों की ओर से सहयोग न करने के कारण पूरी जांच नहीं कर पाई।
मुख्यमंत्री ने कहा गरीबों का राशन डकार गए
चावल घोटाले पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि चावल घोटाले का जो मसला है, वह वर्ष 2016-17 की तत्कालीन सरकार के समय का मामला है। भाजपा सरकार बनने के बाद हमने इस मामले की जांच करवाई। केवल कागजों में राशन दिखाई जा रही थी, जरूरतमंदों तक राशन पहुंचती नहीं थी। आज गरीबों को जो राशन मिल रही है, वह उच्च गुणवत्ता की राशन है। प्रधानमंत्री जी का आह्वाहन रहता है कि हमारी नजर गरीबों पर होनी चाहिए। जब तक गरीबों को योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा, तब तक देश का उत्थान नहीं हो सकता।
जांच के लिए दस्तावेज भी पूरे नहीं मिले
शासन ने किसानों को किए गए भुगतान की जांच के लिए अलग से कमेटी बनाई थी। इस कमेटी को 2015-16 में 350 में 304 और 2016-17 में 400 में से 361 आढ़तियों ने भी साक्ष्य दिए। 1781 करोड़ रुपयेे का धान खरीदना बताया गया। साक्ष्य न होने के कारण करीब 217 करोड़ रुपये की धान खरीद की पुष्टि नहीं हुई।
नोटबंदी में भी खूब उठाया गया फायदा
रिपोर्ट में यह भी खुलकर सामने आया कि नोटबंदी के बाद करीब 408.45 करोड़ रुपये का नगद भुगतान किया गया। इसमें से 217 करोड़ रुपये के साक्ष्य नहीं मिले। कुल भुगतान का 65 प्रतिशत बैंक के जरिये, 12 प्रतिशत नकद भुगतान नोटबंदी के दौरान और बाकी का 23 प्रतिशत नकद भुगतान नोटबंदी के अलावा किया।
Source :Agency news
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