अयोध्या में राम मंदिर की नींव की खुदाई शुरू, दिव्य और अलौकिक होगा राम का धाम


अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण कार्य की शुरुआत हो गई है। राम जन्म भूमि का भूमि पूजन और फिर नक्शा पास होने के बाद इस काम में तेजी देखी जा रही है। अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर की नींव की खुदाई मंगलवार सुबह की गई। 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था। राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र लखनऊ में अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद 2 दिनों तक अयोध्या में रहे। आज नींव की खुदाई के वक्त भी वह अयोध्या में ही मौजूद थे। राम मंदिर निर्माण के लिए जो निर्माण समिति बनाई गई है उसके नृपेंद्र मिश्र अध्यक्ष है।राम जन्मभूमि निर्माण क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में मंदिर का नक्शा तय हुआ था। इसके बाद 2 सितंबर को ही अयोध्या विकास प्राधिकरण की ओर से इस नक्शे को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। नक्शा पास होने के बाद से ही निर्माण कार्य जोर पकड़ रहा है। निर्माण कार्य में उपयोग होने वाली मशीनें लगातार परिसर में देखी जा रही है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट लगातार मंदिर निर्माण को लेकर सक्रिय नजर आ रहा है। नृपेंद्र मिश्र भी अधिकारियों के साथ लगातार मंथन कर रहे हैं। राम मंदिर निर्माण कार्य की जिम्मेदारी l&t कंपनी पर है। सोमवार को ही कंपनी के विशेषज्ञों ने मशीनों की जांच की थी। बताया जा रहा है कि पहले मंदिर के खंभों के लिए 100 मीटर गहराई तक खुदाई की जाएगी। जिस भूमि पर राम मंदिर का निर्माण होना है उसकी भार क्षमता के लिए 200 फीट तक की जांच की जा रही है। आईआईटी चेन्नई इस बात की भी जांच कर रहा है कि अगर कभी भूकंप आता है तो कितनी क्षमता तक भूकंप आ सकता है और इसके बचाव के क्या उपाय होंगे। नक्शे में मंदिर निर्माण के 5 एकड़ क्षेत्र के साथ पूरे 70 एकड़ क्षेत्र का लेआउट भीमंदिर को मजबूत और टिकाऊ बनाने पर काफी जोर है ताकि यह जन्मो जन्मांतर तक रहे। पूरे परिसर में 1200 स्थानों पर पाइपिंग होनी है। बड़ी मशीनों को मंदिर परिसर में गेट नंबर 3 से ले जाया जा रहा है। राम मंदिर के निर्माण स्थल पर जर्जर मंदिरों को भी हटाने की प्रक्रिया पहले ही शुरू की जा चुकी है। राम मंदिर का ढांचा पूरी तरीके से इन खंभों पर अवस्थित होगा। मंदिर के आर्टिटेक्ट निखिल सोमपुरा की माने तो नींव तैयार करने में फिलहाल 4 महीने लग सकते है। इसके बाद कार्यशाला में तरास कर रखे गए पत्थरों की जुड़ाई की जाएगी। इन पत्रों को जोड़ने के लिए तांबे के प्लेट का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि भूकंप का असर ना पड़े। शामिल है। ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि मंदिर का निर्माण वैज्ञानिक विधि द्वारा ही किया जाएगा।


Source:Agency News


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