भारतीय दबाव के आगे झुका नेपाल, विवादित नक्शे वाली किताब के वितरण पर लगाई रोक
नेपाल की ओली सरकार ने विवादित नक्शे वाली किताब के वितरण पर रोक लगा दिया है। नेपाली कैबिनेट के इस फैसले से शिक्षा मंत्री गिरिराज मणि पोखरल को करारा झटका लगा है।
चीन की शह पर लगातार नेपाल भारत को आंखे दिखा रहा था। चाहे वो कालापानी विवाद हो या लिपुलेख और लिंपियाधुरा पर उसके दावे। भारत के कालापानी, लिपु लेख और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा बताने वाला नक्शा भी बीते दिनों नेपाल की संसद से पास किया गया। लेकिन चीनी राजदूत के इशारे पर चल रही नेपाल की ओली सरकार ने विवादित नक्शे वाली किताब के वितरण पर रोक लगा दिया है। नेपाली कैबिनेट के इस फैसले से शिक्षा मंत्री गिरिराज मणि पोखरल को करारा झटका लगा है।
लगाई गई रोक
विदेश मंत्रालय और भूमि प्रबंधन मंत्रालय, सहकारिता और गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने पुस्तक में वर्णित विवरणों पर आपत्ति जताई है। नेपाल के उर्जा मंत्री वर्धमान पुन ने एक नेपाली अखबार काठमांडू पोस्ट को दिए गए बयान में कहा है कि सरकार ने निर्देश दिया है कि संबंधित मंत्रालय की टिप्पणी के बाद पुस्तक को बाजार में तुरंत न लाया जाए। कारण, पाठ्यचर्या विकास केंद्र द्वारा प्रकाशित पुस्तक के शब्द राजनयिक मानदंडों के अनुरूप नहीं थे।
भारत के क्षेत्रों पर नेपाल के दावे का उल्लेख करती किताब
नेपाल के शिक्षा मंत्री गिरिराज मणि पोखरल ने 15 सितंबर को नेपाली भूभाग और संपूर्ण सीमा स्वाध्याय सामग्री’ शीर्षक वाली 110 पन्नों की किताब का विमोचन किया गया था। इस किताब में नेपाली भूभाग से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों और उसके सीमा विवादों का जिक्र करती है। इस किताब में नेपाल का नया क्षेत्रफल 147,641.28 वर्ग किलोमीटर दर्शाया गया है, जिसमें 460.28 वर्ग किलोमीटर वाला कालापानी का इलाका भी है।
Source:Agency News
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