ड्रेनेज का दम: उत्तराखंड के 92 शहरों में नाम का ड्रेनेज सिस्टम, हल्की सी बारिश बन जाती है मुसीबत का सबब
देहरादून / देश के अन्य हिस्सों की भांति उत्तराखंड में भी शहरी क्षेत्र यहां अर्थव्यवस्था के बड़े इंजन के रूप में उभरे हैं। ऐसे में हर साल ही इनकी जनसंख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। गांवों से शहरों की तरफ पलायन और रोजगार की आस में आने वाले लोगों की बढ़ती संख्या के कारण आबादी के बढ़ते बोझ का असर शहरों के बुनियादी ढांचे पर पड़ा है। रही-सही कसर पूरी कर दी अनियोजित ढंग से विकसित हो रही कॉलोनियों के साथ ही नदी-नालों के किनारे उग आई बस्तियों ने। बावजूद इसके बुनियादी सुविधाएं बढ़ती आबादी के लिहाज से विकसित नहीं हो पा रही हैं। इन्हीं में एक है शहरों का ड्रेनेज सिस्टम। 92 शहरी क्षेत्रों वाले उत्तराखंड में इसे लेकर बेपरवाही जैसा आलम है। स्थिति ये है कि हल्की सी बारिश में देहरादून, हल्द्वानी, हरिद्वार समेत अन्य बड़े शहर तरणताल की शक्ल अख्तियार कर ले रहे हैं। हालांकि, वर्ष 2015 से चल रही अटल मिशन फॉर रिज्यूविनेशन एंड अरबन ट्रांसफार्मेशन (अमृत) योजना में सात शहर लिए गए हैं। इसके तहत ड्रेनेज सिस्टम पर भी काम होना है, लेकिन इसकी रफ्तार बेहद धीमी है। दावा ये है कि इन शहरों में ड्रेनेज को लेकर अभी तक 42 फीसद कार्य हो चुका है, लेकिन हकीकत किसी से छिपी नहीं है। इसके अलावा एशियन डेवपलमेंट बैंक, स्मार्ट सिटी योजना, नमामि गंगे समेत अन्य योजनाओं में भी ड्रेनेज सिस्टम सुधारने के लिए काम हुए, लेकिन ये भी खास असर नहीं छोड़ पाए हैं। ऐसे में सवाल यही उठ रहा कि आखिर शहरी क्षेत्र इस समस्या से कब निजात पाएंगे।
Source: Dainik jagran
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