गाोरखपुर त्रासदी पर जल्द पूरी करेंगे किताब डा0 कफील खान,जेल में पांच दिनों तक नहीं मिला था खाना


लखनऊ / इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद डॉक्टर कफील खान को मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया। जिसके बाद उन्होंने न्यायपालिका का शुक्रिया अदा किया और कहा कि मैं न्यायपालिका का शुक्रगुज़ार हूं जिसने एक उत्कृष्ट आदेश दिया है, जिसने साफ शब्दों में कहा है कि मेरा भाषण हिंसा को उकसाने वाला नहीं था और आखिर में एसटीएफ को भी धन्यवाद कहूंगा जिन्होंने मुंबई से मथुरा लाते वक्त मेरा एनकाउंटर नहीं किया।


इसके साथ ही डॉक्टर कफील खान ने कहा कि मैं अपने उन सभी शुभचिंतकों का हमेशा शुक्रगुजार रहूंगा जिन्होंने मेरी रिहाई के लिए आवाज बुलंद की। प्रशासन रिहाई के लिए तैयार नहीं था लेकिन लोगों की दुआओं की वजह से मुझे रिहा किया गया। हालांकि, रिहाई के बाद उन्होंने योगी आदित्यनाथ सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि रामायण में महर्षि वाल्मीकि ने कहा था कि राजा को राज धर्म के लिए काम करना चाहिए। उत्तर प्रदेश में राजा 'राज धर्म' नहीं निभा रहा बल्कि बाल हठ कर रहा है।


4-5 दिनों तक नहीं दिया खाना


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉ कफील खान को जेल में शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। शुरुआत में तो चार से पांच दिनों तक खाने के लिए कुछ नहीं दिया और न ही पीने को पानी मिला। फिर उन्होंने एक-दो चपाती देना शुरू किया। उन्होंने कहा कि मैं अब तक तीन बार जेल जा चुका हूं लेकिन इस बार अनुभव काफी भयानक था। हालांकि, कैदियों का व्यवहार मेरे प्रति सहज था।


अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर कफील खान कुछ वक्त के लिए परिवार के साथ समय बिताना चाहते हैं। उन्होंने टीओआई को अपनी पूरी दास्तां बताई और यह बताते-बताते वह उत्तर प्रदेश की सीमा को पार कर चुके थे। उन्होंने कहा कि मैं अपने परिवार को अपने साथ ले जा रहा हूं और उनके साथ कुछ समय बिताऊंगा। मैं जब जेल में था तो उन्हें बहुत याद करता था। उन्होंने आगे कहा कि मेरा बेटा ओलिवर जब 11 महीने का था उस वक्त मुझे जेल हुई थी और अब वह पापा कहने लगा है। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी शबिस्ता और भाई अडेल उन्हें इस सबसे बाहर निकालने का प्रयास कर रहे थे।


जेल की हालत खस्ता


डॉक्टर कफील खान ने बताया कि जेल की हालत खस्ता थी। 530 कैदियों की क्षमता वाले जेल में 1600 कैदी थे और वहां पर सिर्फ एक टॉयलट था। इस दौरान उन्होंने गोरखपुर त्रासदी पर एक किताब लिखना शुरू किया था जिसे अब वह पूरा करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि वह बाढ़ प्रभावित राज्यों में जाकर शिविरों का आयोजन करना चाहता हूं ताकि बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद कर सकूं।


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