महाराष्ट्र गांधी की मूर्ति का मतलब पूजास्थल नहीं, शराब की दुकान को खुलने से रोकने की मांग वाली याचिका खारिज
बेंगलुरू / महाराष्ट्र गांधी की मूर्ति का मतलब कोई पूजास्थल नहीं है। ऐसा कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा है। बेंगलुरू के एक वकील ने हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की जिसके माध्यम से वह बेंगलुरू के एमजी रोड पर शराब की दुकान खोलने के लिए दिए जाने वाले लाइसेंस को मना करने का अनुरोध कर रहा था। जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि महात्मा गांधी की मूर्ति का मतलब कोई पूजास्थल नहीं है।
वकील एवी अमरनाथन ने अदालत में याचिका दाखिल करते हुए कहा कि जिस स्थान पर शराब की दुकान खोलने के लिए लाइसेंस दिया गया है वहां से 30 मीटर की दूरी पर महात्मा गांधी की मूर्ति है। उन्होंने आगे कहा कि कर्नाटक एक्साइज लाइसेंस (सामान्य शर्तें) 1967, के नियम 3(3) के तहत शराब की दुकान किसी भी पूजास्थल या फिर पूजास्थल के समान किसी अन्य जगहों पर नहीं खोली जा सकती है।
वकील ने आगे कहा कि जिस जगह पर शराब की दुकान खोलने के लिए लाइसेंस दिया गया उस जगह से तो महज 30 मीटर की दूरी पर महात्मा गांधी की मूर्ति है और मूर्ति पर हर साल बहुत से लोग सम्मान प्रकट करने आते हैं। ऐसे में इस स्थान पर शराब की दुकान खोलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। वकील एवी अमरनाथन की याचिका को हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ने खारिज कर दिया और कहा कि महात्मा गांधी की सोच में भी यह नहीं थी कि उनकी पूजा की जाए।
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