उत्तराखंड के इन जिलों के 100 से ज्यादा गांवों में गुलदार की दहशत, लॉकडाउन व अनलॉक के बीच आठ लोगों की जान गई


कुमाऊं के 100 से अधिक गांवों में गुलदार की दहशत कायम है। कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन और अनलॉक अवधि में गुलदार कुमाऊं में अलग-अलग घटनाओं में आठ लोगों को अपना शिकार बना चुके हैं। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार पहाड़ से मैदानी क्षेत्र तक कुमाऊं के जंगलों में 1200 से ज्यादा गुलदार हैं। जंगलों से आबादी की ओर रुख कर ये सबसे आसान शिकार मनुष्य को अपना निशाना बना रहे हैं।


आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ की पड़ताल में सामने आया कि कोरोनाकाल में गुलदार रामनगर, नैनीताल और अल्मोड़ा वन प्रभाग में सबसे ज्यादा खूंख्वार नजर आया है। गुलदारों ने इस अवधि के ये आठों शिकार कुमाऊं के इन वन प्रभागों में ही किये हैं। मनुष्य के अलावा मवेशियों को निवाला बनाने और आबादी वाले क्षेत्र में गुलदार के दिखायी देने की बेशुमार घटनाएं कोरोनाकाल में सामने आई हैं।



अल्मोड़ा वन प्रभाग में दो मासूम निवाला बनाये
अल्मोड़ा वन प्रभाग में बीती 19 सितंबर को भिकियासैंण नगर पंचायत क्षेत्र में घर के पास खेल रही सात साल की एक बच्ची को गुलदार ने मार डाला। बच्ची का शव घटनास्थल से 100 मीटर दूरी पर मिला। इसी वन प्रभाग में बीती 6 जुलाई को भैसियाछाना ब्लॉक की डूंगरी ग्राम पंचायत के उडल गांव में आंगन में खेल रहे डेढ़ साल के बच्चे को गुलदार झपट्टा मारकर ले गया।


करीब डेढ़ सौ मीटर दूरी पर गधेरे में उसका शव बरामद किया गया। जिले के अल्मोड़ा नगर, द्वाराहाट, स्याल्दे, भिकियासैंण आदि जगहों पर गुलदार का सबसे ज्यादा आतंक है। रेंजर संचिता वर्मा का कहना है कि जिन जगहों में गुलदार का आतंक होता है, वहां पर पिंजरा लगाया जाता है। साथ ही लोगों को भी सावधानी बरतने के लिए कहा जाता है। 


 

पिथौरागढ़-बागेश्वर वन प्रभाग में भी आतंक 

पिथौरागढ़ जिले में 10 से अधिक गांवों में इन दिनों गुलदार का आतंक छाया हुआ है। वन क्षेत्राधिकारी दिनेश जोशी ने बताया कि लॉकडाउन से अब तक गुलदार के हमले की हालांकि कोई घटना सामने नहीं आई है। बागेश्वर जिले में जौलकांडे, धरमघर, बड़ेत, रतौड़ा, गढ़खेत और मनकोट गांवों में गुलदार का आतंक बना है।

अभी तक गुलदार ने पालतू जानवरों को ही निवाला बनाया है। कहीं से भी मानव शिकार की कोई घटना नहीं है। डीएफओ बीएस शाही ने बताया कि मनकोट और जौलकांडे में पिंजरा लगाया गया है। अन्य क्षेत्रों में वन कर्मियों को गश्त करने के निर्देश दिए गए हैं।


 

नैनीताल और रामनगर वन प्रभाग में चार की जान ली

नैनीताल प्रभाग में कोरोनाकाल में लॉकडाउन और अनलॉक के दौरान दो लोगों की गुलदार ने जान ले ली। बीती 23 जून को काठगोदाम क्षेत्र के सनकोट गांव निवासी भगवती देवी (58) को गुलदार ने मार डाला। नैनीताल के डीएफओ टीआर बीजू लाल ने बताया कि 12 जुलाई को गौला बैराज से लगे जंगल में पुष्पा सांगुड़ी (60) गुलदार का शिकार बनीं।

 

साथ ही एचएमटी कॉलोनी, सोनकोट, रानीबाग, सूर्याजाला में भी लोगों पर हमले किए। गुजरौड़ा गांव, गौलापार के खेड़ा गांव में कई बार गुलदार दिखा। रामनगर के डीएफओ सीएस जोशी ने बताया कि यहां दो लोगों की मौत गुलदार के हमले में हुई, तीन लोगों पर गुलदार ने हमला भी बोला। 15 मई को बैलपड़ाव रेंज के चूनाखान में गुलदार ने एक किशोरी को मार दिया था।

 

इसके अलावा इसी वन प्रभाग के मालधन क्षेत्र में जंगल में लकड़ी बीनने गए युवक को गुलदार ने निवाला बना लिया था। कॉर्बेट पार्क की बिजरानी जोन में स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के कर्मचारी पर गुलदार ने हमला कर दिया था। उस वक्त यह वन कर्मी नियमित गश्त पर था। लेकिन सौभाग्य से यह कर्मचारी बच गया।

 

गुलदार का मूवमेंट आबादी के आसपास हमेशा से रहा है। आबादी में वह अमूमन कुत्ते, बकरी, मुर्गी आदि का शिकार करने के लिए आता है। कई बार उसे मासूम बच्चे भी आसान शिकार के रूप में नजर आते हैं। जिसके चलते वह बच्चों पर हमला कर देता है। यह बात एक अध्ययन में में भी सामने आयी है कि गुलदार 7 से 12 वर्ष उम्र के बच्चों पर ज्यादा हमले करता है।
जेएस सुहाग, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, उत्तराखंड 


Source:HINDUSTAN SAMACHAR


टिप्पणियाँ