अभिभावकों का बोर्ड के बच्चों को भी स्कूल भेजने से इनकार, ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर


सरकार ने स्कूल खोलने को लेकर अभी एसओपी भी जारी नहीं की है कि अभिभावकों का मन बच्चों के भेजने का लेकर बदलने लगा है। ज्यादातर अभिभावक अब बोर्ड के बच्चों को भी स्कूल भेजने को लेकर सहमत नहीं हैं। वे आनलाइन पढ़ाई से ही बच्चे को पढ़ाना चाहते हैं। जबकि कुछ दिन पहले तक ज्यादातर अभिभावक बच्चों को भेजने को लगभग तैयार थे।


यूपी और एमपी में स्कूल खुलने के बाद बच्चों के संक्रमित होने के मामले सामने आने के बाद दून के अभिभावक भी डर गए हैं। नेशनल एसोसिएशन फार पेरेंट्स एंड स्टूडेंट राइट के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान ने बताया कि एसोसिएशन से जुड़े सभी अभिभावक स्कूलों के सुरक्षा इंतजाम परखने के बाद बोर्ड के बच्चों को भेजने पर सहमति बना चुके थे, लेकिन पिछले दिनों यूपी में और एमपी में स्कूल खुलने के बाद कुछ बच्चों के स्कूल में संक्रमित होने के मामले सामने आए।


जिसके बाद अभिभावक डर गए हैं। अब वे बच्चों को दो नवंबर से दसवीं और बारहवीं के बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे। अभिभावक एकता समिति के अध्यक्ष लव चौधरी का कहना है कि सरकार को न सही, हमें अपने बच्चों की बेहद चिंता है। हम किसी भी कीमत पर अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे। 


सरकारी स्कूल क्यों नहीं खोल रहे
एनएपीएसआर के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान के अनुसार सरकार निजी स्कूल तो नवंबर से खोलने की बात कह रही है, लेकिन सरकारी स्कूल खोलने के लिए बजट का बहाना बनाया जा रहा है। विभाग कह रहा है स्कूलों को नियमित सेनेटाइज कराने का अभी बजट नहीं है। ऐसे में स्कूल खुलने में देरी हो सकती है। जबकि निजी स्कूलों से ज्यादा जरूरत सरकारी स्कूल के बच्चों को पढ़ाई है। ऐसे में सरकार निजी स्कूल भी ना खोले। नहीं तो अभिभावक आंदोलन करेंगे।


अभी हम सरकार की एसओपी का इंतजार कर रहे हैं। अगर दो बच्चे भी आते हैं तो हम उन्हें कक्षा में पढ़ाएंगे। वहीं से लाइव कर दूसरे बच्चों को आनलाइन क्लास देंगे। लेकिन ये अभिभावक को समझना है कि कक्षा में आकर बच्चा ज्यादा समझेगा। खासकर प्रेक्टिकल को लेकर उसे दिक्कत होगी। बाकी अभिभावकों की मर्जी।
प्रेम कश्यप,अध्यक्ष पीपीएसए


Source:Hindustan samachar


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