हैदराबाद हाउस में राजनाथ सिंह व अमेरिकी रक्षामंत्री के बीच वार्ता जारी
भारत-चीन के बीच जारी सीमा विवाद के बीच अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर टू प्लस टू मंत्री स्तरीय वार्ता के लिए भारत आए हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व मार्क एस्पर की अगुवाई में दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात शुरू हो गई है।
नई दिल्ली / रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) ने सोमवार को भारत आए अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ( Mark Esper) से हैदराबाद हाउस में मुलाकात की और दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल के बीच वार्ता जारी है। भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर (Kenneth Juster) ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और नेवी चीफ एडमिरल करमबीर सिंह का अभिवादन किया। । इस मुलाकात में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत ( Bipin Rawat), आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (Army Chief General Manoj Mukund Naravane), IAF चीफ एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया (RKS Bhadauria) व नेवी चीफ एडमिरल करमबीर सिंह भी मौजूद रहे।
इससे पहले अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर (Mark Esper) साउथ ब्लॉक में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उनका स्वागत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया। चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव और अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बीच भारत और यूएस के बीच अहम बैठक होने जा रही है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो, रक्षा मंत्री मार्क एस्पर सोमवार को नई दिल्ली पहुंचे। यहां दोनों भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ 2+2 बैठक में हिस्सा लेंगे।
भारत और अमेरिका के बीच 2+2 मीटिंग मंगलवार को शुरू होगी। लेकिन उससे पहले सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, अमेरिकी रक्षामंत्री मार्क एस्पर के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। ये बैठक हैदराबाद हाउस में होगी, इसके बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर, माइक पोंपियो के साथ शाम को सात बजे बैठक करेंगे। इन बैठकों के बाद शाम को डिनर का आयोजन किया जाएगा
माइकल पोंपियो और मार्क एस्पर मंगलवार को भारत-अमेरिका के बीच टू-प्लस-टू वार्ता के तीसरे संस्करण में हिस्सा लेंगे। अमेरिका में चुनाव से महज एक हफ्ते पहले ट्रंप के दो शीर्ष मंत्रियों की यह वार्ता बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। वार्ता में कई महत्वपूर्ण द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा होगी जिसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने का चीन का प्रयास और पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में उसका आक्रामक व्यवहार भी शामिल है।
Source:एएनआइ
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