माताओं को मिला 'विशेष पुलिस अधिकारी' का दर्जा, घर के नेमप्लेट पर लिखा होगा पद
यूपी पुलिस एमरजेंसी सेवा ‘डायल 112’ के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल में बौद्धिक रूप से अक्षम लोगों के खिलाफ अपराधों के संबंध में 5,000 से अधिक कॉल रिसीव हुईं। पुलिस ने कहा, ज्यादातर शिकायतों को उनके परिवार या पड़ोसी द्वारा दर्ज कराया गया था।
आगरा पुलिस ने नाबालिगों और वयस्कों की माताओं को सशक्त बनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण कदम उठाया है। बता दें कि एटा जिले की पुलिस ने नाबालिगों और बौद्धिक अक्षमता के व्यस्कों की माताओं को 'विशेष पुलिस अधिकारी' (एसपीओ) के रूप में नामित करने की योजना बनाई है। जिले की पुलिस ने अब तक 1,900 से अधिक ऐसे परिवारों की सूची बनाई है।
एटा पुलिस अधीक्षक राहुल कुमार के मुताबिक, बौद्धिक अक्षमता वाले लोग अपराध के ज्यादा शिकार होते है और इसी को देखते हुए महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार के मिशन शक्ति के तहत इस पहल को शुरू किया गया है। राहुल कुमार ने टीओआई को बताया कि “हमने कई मामलों का अध्ययन किया है, जहां अपहरण के बाद बौद्धिक अक्षमता वाले व्यक्ति की अंग कटाई, यौन शोषण, भीख मांगने, नशीली दवाओं के सेवन और अन्य आपराधिक गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। इसके अलावा, ऐसे लोगों के जमीनों और प्रोपर्टी को हथियाना काफी आम है। ऐसे में इन लोगों और उनके परिवार के सदस्यों को पुलिस से विशेष सुरक्षा की आवश्यकता है।इसलिए, हमने यह योजना बनाई है ताकि वह अपना बचाव कर सके।
यूपी पुलिस एमरजेंसी सेवा ‘डायल 112’ के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल में बौद्धिक रूप से अक्षम लोगों के खिलाफ अपराधों के संबंध में 5,000 से अधिक कॉल रिसीव हुईं। विशेष रूप से, इनमें से कोई भी कॉल पीड़ितों द्वारा नहीं किया गया था, पुलिस ने कहा, ज्यादातर शिकायतों को उनके परिवार या पड़ोसी द्वारा दर्ज कराया गया था। अधिकारी ने कहा कि बौद्धिक रूप से अक्षम लोगों के खिलाफ अपराधों पर राष्ट्रव्यापी डेटा उपलब्ध नहीं है, लेकिन "स्थिति गंभीर है"।
इस बीच, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार सिंह ने पुष्टि की कि उनके पास अब तक 1,986 परिवारों की पहचान है, जिसमें एक बौद्धिक विकलांगता से पीड़ित सदस्य हैं। “स्टेशन हाउस के अधिकारियों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उनकी निगरानी की जाएगी। हमने प्रत्येक व्यक्ति की मां को बौद्धिक विकलांगता के साथ एसपीओ के रूप में नामित करने का फैसला किया है ताकि उन्हें सामाजिक रूप से सशक्त बनाया जा सके और उनके बच्चों के खिलाफ अपराध को रोका जा सके। ”
कुमार 2013 से पुलिस स्टेशनों पर बौद्धिक विकलांगता वाले लोगों के पंजीकरण की निगरानी कर रहे हैं। "माताओं को एसपीओ के रूप में नियुक्त करने के बाद उनके पास वैसे कोई कोई शक्ति नहीं होगी, और यूपी पुलिस मैनुअल के तहत उनके लिए वेतन का भी कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन उन्हें अपने घर के बाहर अपने नेमप्लेट पर पदनाम का उल्लेख करने का अधिकार है। इसके अलावा, एसएसपी उन्हें एक पहचान पत्र भी जारी करेगा। कुमार ने आगे कहा कि माताओं को एसपीओ नियुक्त करने के बाद वह पुलिस परिवार का हिस्सा बनी रहेंगी और उन्हें अपराधों के खिलाफ लड़ने की शक्ति भी मिलेगी। इससे उनके परिवारों के प्रति सामाजिक कलंक को रोकने में भी मदद करेगा। इसके अलावा, माताओं को एसपीओ के रूप में नामित करने से महिलाओं को सशक्त बनाने में भी मदद मिलेगी।
वहीं एटा पुलिस की "उल्लेखनीय पहल" की प्रशंसा करते हुए, जिला मजिस्ट्रेट सुख लाल भारती ने कहा कि जिला प्रशासन ऐसे परिवारों के डेटा का उपयोग उन्हें विभिन्न योजनाओं के तहत लाभ प्रदान करेगा।डीएम ने कहा, "जल्द ही, अन्य जिलों में इसके कार्यान्वयन के लिए पहल की एक विस्तृत रिपोर्ट भी राज्य सरकार को भेजी जाएगी,"।
Source:Agency news
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