UP विधानसभा की सात सीटों पर उप चुनाव में 88 उम्मीदवारों की किस्मत का होगा फैसला
भाजपा के पास थीं और एक सीट समाजवादी पार्टी (सपा) के पास रही है। इस उपचुनाव का परिणाम 10 नवंबर को आएगा। हाथरस और बलरामपुर में दलित समुदाय की महिलाओं के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के बाद कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सरकार विपक्ष के चौतरफा हमलों का सामना कर रही है।
लखनऊ / उत्तर प्रदेश विधानसभा की सात सीटों पर उप चुनाव के लिए मंगलवार को होने जा रहे मतदान में निर्दलीय समेत कुल 88 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला मतदाताओं के हाथ में होगा। निर्वाचन आयोग ने सकुशल चुनाव संपन्न कराने की तैयारी पूरी कर ली है। जिन सातों सीटों पर तीन नवंबर को मतदान होना है उनमें से छह सीटें पहले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास थीं और एक सीट समाजवादी पार्टी (सपा) के पास रही है। इस उपचुनाव का परिणाम 10 नवंबर को आएगा। हाथरस और बलरामपुर में दलित समुदाय की महिलाओं के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के बाद कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सरकार विपक्ष के चौतरफा हमलों का सामना कर रही है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने शनिवार को जौनपुर और देवरिया की चुनावी सभाओं में एलान किया कि उनकी सरकार लव जिहाद से निपटने के लिए एक कानून लाएगी। पिछले सप्ताह भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने उप चुनाव के लिए आजाद समाज पार्टी के उम्मीदवार के लिए बुलंदशहर में अभियान शुरू किया था। चंद्रशेखर के नेतृत्व में बनी आजाद समाज पार्टी का इस उप चुनाव में पहली बार परीक्षण होगा कि दलित मतदाताओं के बीच उनकी पकड़ कितनी मजबूत है। आजाद समाज पार्टी का उदय भीम आर्मी के राजनीतिक आंदोलन के फलस्वरूप हुआ है। आजाद समाज पार्टी ने बुलंदशहर में मोहम्मद यामीन को अपना उम्मीदवार बनाया है। उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने बताया कि सातों सीटों पर जहां उप चुनाव होना है वहां निष्पक्ष, शांतिपूर्ण, समावेशी और कोविड-19 के दृष्टिगत सुरक्षित मतदान के लिए समस्त तैयारी पूरी कर ली गई है। शुक्ला ने मतदाताओं से अपेक्षा की है कि कोविड-19 से सुरक्षा के लिए किये गये उपायों का पूरी तरह पालन करते हुए शारीरिक दूरी बनाकर मतदान करें। सातों सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में निर्दलीय समेत कुल 88 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें सर्वाधिक 18 प्रत्याशी बुलंदशहर सीट पर हैं। जौनपुर जिले की मल्हनी सीट पर 16 उम्मीदवार आमने-सामने हैं। अमरोहा जिले की नौगांव-सादात सीट और देवरिया सीट पर 14-14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इसके अलावा फिरोजाबाद की टूंडला और उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर 10-10 उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि कानपुर की घाटमपुर विधानसभा सीट पर सबसे कम छह उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा, सपा, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इस चुनाव में अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। कुछ सीटों पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन ने भी अपने प्रत्याशी उतारे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य एवं डॉ. दिनेश शर्मा तथा पार्टी पदाधिकारियों एवं अन्य मंत्रियों ने डिजिटल माध्यम से संवाद के अलावा चुनाव क्षेत्रों में जाकर लगातार जनसभाएं और जनसंपर्क किया। राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह ने कहा, यह चुनाव सत्तारुढ़ दल के लिए वाकई प्रतिष्ठा का सवाल है, क्योंकि 2017 के आम चुनाव में इनमें से छह सीटें भाजपा ने जीती थीं। अगर इन सीटों पर भाजपा को दोबारा जीत नहीं मिली, तो इसके निहितार्थ निकाले जाएंगे। राजीव ने कहा कि इस उप चुनाव में सरकार की लोकप्रियता के आकलन के साथ ही 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का भी पूर्वाभ्यास हो रहा है। स्वतंत्र देव सिंह ने दावा किया कि सभी सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीतेंगे। हालांकि सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि सपा का लक्ष्य 2022 का विधानसभा चुनाव है और जीत की शुरुआत उप चुनाव से ही होगी। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, ‘‘विधानसभा उप चुनाव में मतदान की तारीख नज़दीक आ रही है, ऐसे में भाजपा अपनी हार की आशंका के चलते चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग और मतदाताओं को भयभीत करने का हथकंडा अपना रही है।’’
Source:Agency News
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