दुकानों के आवंटन में छूट रहे आबकारी विभाग के पसीने
प्रदेश को सबसे अधिक राजस्व देने वाले विभागों में शामिल आबकारी विभाग इस बार राजस्व लक्ष्य को हासिल करता नजर नहीं आ रहा है। इसका मुख्य कारण दुकानों का आवंटन न हो पाना है। दुकानों का आवंटन कराने में विभाग के पसीने छूट रहे हैं।
देहरादून / प्रदेश को सबसे अधिक राजस्व देने वाले विभागों में शामिल आबकारी विभाग इस बार राजस्व लक्ष्य को हासिल करता नजर नहीं आ रहा है। इसका मुख्य कारण दुकानों का आवंटन न हो पाना है। दुकानों का आवंटन कराने में विभाग के पसीने छूट रहे हैं। स्थिति यह है कि कुल दुकानों में से अभी तक 100 दुकानों का आवंटन होना शेष है। अब वित्तीय वर्ष समाप्त होने में लगभग चार माह का समय शेष रह गया है, इस कारण अब इन दुकानों के लिए आवेदक भी सामने नहीं आ रहे हैं।
प्रदेश में इस वर्ष सरकार ने शराब व बियर की 659 दुकानों के लाइसेंस जारी करने का निर्णय लिया था। यह संख्या बीते वर्ष से तकरीबन 40 दुकानें अधिक थी। बीते वर्ष आवंटन के लिए 619 दुकानों को चिह्नित किया गया था। सरकार और विभाग को उम्मीद थी कि इस बार सारी दुकानों का आवंटन हो जाएगा। इसके लिए विभाग ने लॉटरी सिस्टम लागू किया। लॉटरी सिस्टम में एक दुकान के लिए कई लोग आवेदन करते हैं और जिसके नाम की पर्ची निकलती है, उसे यह दुकान मिल जाती है। इससे पूर्व यह व्यवस्था ऑनलाइन की गई थी। यानी ऑनलाइन जो जितनी अधिक बोली लगाएगा, उसे ही दुकान का आवंटन होगा। इस कारण बीते वर्ष भी 131 दुकानों का आवंटन नहीं हो पाया। इस वर्ष भी नई व्यवस्था बहुत अधिक कारगर साबित नहीं हुई। स्थिति यह रही कि 132 दुकानों के लिए किसी ने आवेदन ही नहीं किया। इस पर जब शासन ने सख्ती की तो जिलों ने इस दुकानों के आवंटन को लेकर कदम उठाने शुरू किए। साल भर की फीस को कम किया गया। इन तमाम प्रयासों से जैसे तैसे कर विभाग ने 32 और दुकानों का आवंटन कर दिया। अभी स्थिति यह है कि 100 दुकानों का आवंटन नहीं हो पाया है।
आबकारी विभाग का इस वर्ष का राजस्व लक्ष्य 3500 करोड़ रुपये का है। इसके सापेक्ष विभाग को अभी तक 1770 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। अब केवल चार माह का समय शेष है, ऐसे में विभाग का राजस्व लक्ष्य तक पहुंचने के लिए 1680 करोड़ रुपये और कमाने हैं। कोरोना के कारण पर्यटन प्रभावित हुआ है, इससे शराब की बिक्री घटी है। बीते वर्ष शराब की बिक्री से विभाग को 668 करोड़ रुपये मिले थे। मगर इस वर्ष विभाग इस आंकड़े को भी छूता नजर नही आ रहा है।
Sources:JNN
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