किसान आंदोलन से उत्तराखंड में रोजमर्रा के सामान की सप्लाई पर भी पड़ रहा असर
कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन का असर उत्तराखंड में धीरे-धीरे दिखने लगा है। दिल्ली और इससे होकर जाने वाले वाहनों के सामने समस्याएं पैदा हो चुकी हैं। ट्रांसपोर्ट कारोबार में जहां 40% की गिरावट आई, वहीं हल्द्वानी के सेंचुरी मिल से निर्यात होने वाले कागज की खेप बॉर्डर पर अटक गई है। दूसरे राज्यों से परचून की सामग्री भी नहीं आ पा रही है।
कुमाऊं का हाल पहले 500 ट्रक दिल्ली जाते थे, अब 100 ही जा पा रहे
हल्द्वानी। किसान आंदोलन के चलते कुमाऊं के लिए जरूरी सामान की आपूर्ति प्रभावित हो गई है। हल्द्वानी से दिल्ली की मंडियों को रोज जाने वाले 500 ट्रकों में सिर्फ सौ ट्रक भोजीपुरा के रास्ते जा रहे हैं। लालकुआं से सेंचुरी पेपर मिल से जाने वाली 200 मीट्रिक टन कागज की गाड़ियां बॉर्डर पर अटकी हैं। लालकुआं से जाने वाली गाड़ियों से वापसी में रोजमर्रा का सामान आता है। लेकिन, दिल्ली सीमा पर जाम और आंदोलन के कारण इन दिनों इसकी आपूर्ति भी ठप है।
तराई किसान संगठन:यूएसनगर से 500 से अधिक किसान निकले
रुद्रपुर। यूएसनगर जिले से 500 से अधिक किसान, आंदोलन में हिस्सा लेने गए हैं। अकेले रुद्रपुर से 250 किसान गए। तराई किसान संगठन के अध्यक्ष तजेंदर सिंह विर्क ने कहा कि गाजीपुर दिल्ली बॉर्डर पर किसान डटे हैं।
जो गाड़ियां चार दिन में आती थीं, अब पांच दिन में आ रहीं
ट्रांसपोर्ट कारोबारी दीपक गुप्ता ने बताया कि किसानो आंदोलन से उनके कारोबार पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। मगर जो गाड़ियां चार दिन में आती थीं, वे
अब पांच दिन बाद आ रही हैं।
रुड़की में भी ट्रकों के संचालन पर पड़ा असर
रुड़की: पूरे क्षेत्र से करीब 150 किसान गाजीपुर बॉर्डर गए हैं। कई किसानों को जाने से रोक दिया गया था। फिलहाल यहां किसानों का धरना प्रदर्शन नहीं हो रहा है। ट्रक ऑपरेटरों का कहना है कि तीस फीसदी संचालन प्रभावित हुआ है।
उद्योगों का कहना है कि अभी आंदोलन का असर नहीं है। उत्तराखंड किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलशन रोड का कहना है कि दिल्ली में पंचायत के बाद आगे की रणनीति तय होगी। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष विजय शास्त्री बोले, जरूरत पड़ने पर और किसान दिल्ली जाएंगे।
उद्योगों पर पड़ रही मार माल की आपूर्ति प्रभावित
हरिद्वार। किसान आंदोलन का असर हरिद्वार के उद्योगों पर पड़ना शुरू हो गया है। हरिद्वार में तैयार 95 फीसदी माल दूसरे राज्यों को भेजा जाता है। बाहर से आने वाला फिलहाल करीब 20 फीसदी कच्चा माल औद्योगिक क्षेत्रों में नहीं पहुंच पा रहा है।
हरिद्वार में फार्मा, ऑटोमोबाइल, पैकेजिंग का अधिकांश कच्चा माल दिल्ली और आस पास के इलाकों से आता है, जो फिलहाल नहीं आ पा रहा है। माल से भरे ट्रक बॉर्डर पर खड़े हैं। सिडकुल मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के महासचिव राज अरोड़ा का कहना है कि बीते पांच दिन से हालात लगातार खराब हो रहे हैं।
किसान आंदोलन लंबा चला तो दून में सप्लाई पर पड़ेगा असर
देहरादून। किसान आंदोलन के चलते दिल्ली के हाईवे बंद हैं। इससे कई राज्यों की सप्लाई पर असर पड़ा है। दून में जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति पर आंशिक असर है। व्यापारियों के पास राशन समेत कई चीजों का 15 से 20 दिन का स्टाक उपलब्ध है।
इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता बोले, किसान आंदोलन का उद्योगों पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। क्योंकि, दिल्ली की सीमाएं ही बंद हैं। अगर आंदोलन बढ़ा तब मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आढ़ती विनय गोयल ने कहा, व्यापारी पहले से ही 15 से 20 दिन का अतिरिक्त स्टॉक रखते हैं।
आपूर्ति बाधित होने पर कुछ दिन तक हालात सामान्य रह सकते हैं। आंदोलन अधिक लंबा खिंचने पर समस्या हो सकती है। उत्तराखंड इंडस्ट्रीयल वेलफेयर एसोसिएशन संरक्षक महेश शर्मा बोले, उन फार्मा-इलेक्ट्रिकल उद्योगों पर प्रभाव पड़ा है, जिनकी सप्लाई दिल्ली से है।
आढ़त बाजार व्यापारी संगठन के अध्यक्ष विनोद गोयल बोले, दिल्ली से सामान आने में दिक्कत हो रही है, लेकिन यूपी आदि मंडियों से सामान की आपूर्ति हो रही है। आंदोलन लंबा खिंचने पर दिक्कत हो सकती है।
किसानों को बिजली इंजीनियरों का साथ
देहरादून। किसान आंदोलन में उत्तराखंड पावर इंजीनियर्स भी कूद पड़े हैं। एसोसिएशन का तर्क है कि किसान इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट ऐक्ट का भी विरोध कर रहे हैं। क्योंकि यह लागू होने पर किसानों को रियायती बिजली बंद होगी। एसोसिएशन अध्यक्ष युद्धवीर सिंह तोमर ने कहा कि हमने उन्हें समर्थन देने का फैसला लिया है।
किसानों के हित में हैं कृषि कानून: सुबोध
देहरादून। कृषि-उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि कृषि सुधार कानूनों की वजह से किसानों को अपनी उपज देश में कहीं भी बेचने की आजादी है। वो अपनी उपज का अपने मुताबिक मूल्य ले सकते हैं। बिचौलियों की लूट से मुक्ति मिलेगी। एमएसपी बंद करने का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। खुद प्रधानमंत्री स्पष्ट कर चुके हैं।
हर घर से एक किसान दिल्ली जाएगा
देहरादून। उत्तराखंड की किसान यूनियन आंदोलन तेज करने
की तैयारी कर रही है। भारतीय किसान यूनियन (तोमर) के प्रदेश अध्यक्ष सोमदत्त शर्मा ने कहा कि यूनियन से जो लोग दिल्ली गए थे, वह लौट आए हैं। यदि सरकार किसानों की मांगें नहीं मानती है तो उत्तराखंड के हर घर से एक किसान दिल्ली जाएगा।
Sources:Agency News
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