फांसी पर चढ़ने वाली शबनम के बेटे की राष्ट्रपति से मार्मिकअपील कहा,मां से बहुत प्यार करता हूं ‘मां’को माफ कर दो

स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार, अपने परिवार के सात सदस्यों को मौत के घाट उतारने के लिए एक दोषी महिला को मथुरा जेल में फांसी दी जाएगी। हालांकि, फांसी की तारीख अभी तय नहीं है, क्योंकि अभी तक कोई डेथ वारंट जारी नहीं किया गया है। पश्चिमी यूपी के अमरोहा जिले की मूल निवासी शबनम को अपने परिवार के सात सदस्यों की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। अब शबनम को हत्या के लिए सजाए मौत दी जाएगी। शबनम ने जिस भी कोर्ट में अपील की, हर अदालत ने उन्हें फांसी की ही सजा सुनाई, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखा। अब अंत में आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गयी जब भारत के राष्ट्रपति ने उसकी दया याचिका खारिज कर दी। शबनम को मथुरा जेल में बने एकल महिला फांसी घर में फांसी दी जाएगी। मौत की सजा पाने वाले शबनम के बेटे मोहम्मद ताज ने गुरुवार को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से उनकी मौत की सजा को माफ करने के लिए अपील की। ताज ने कहा, "मैं अपनी मां से प्यार करता हूं। मैं राष्ट्रपति से अपील कर रहा हूं कि उनकी मौत की सजा को माफ किया जाए। अपनी माँ के लिए "माफी" मांगते हुए एक स्लेट पर नोट भी लिखा। यह राष्ट्रपति पर निर्भर है कि वह उसे क्षमा करें। 14 अप्रैल 2008 को अमरोहा जिले के हसनपुर पुलिस थाना क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले बावनखेड़ा गाँव के एक शिक्षक शौकत अली की बेटी शबनम ने अपने पिता, माँ और यहाँ तक कि 10 महीने के भतीजे सहित परिवार के सात सदस्यों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। शबनम एक पोस्ट ग्रेजुएट लड़की थी जो स्कूल में बढ़ाती थी। युवा उम्र में उसे एक पांचवी पास लड़के सलीम से प्यार हो जाता है लेकिन शबनम का परिवार इस रिश्ते के खिलाफ होता है। शबनम की शादी वह किसी भी कीमत पर सलीम से करने के लिए राजी नहीं होता है। शबनम 14 अप्रैल 2008 को सलीम के साथ मिलकर अपने परिवार के 7 सदस्यों को कुल्हाड़ी से काट कर मौत के घाट उतार देती हैं। Sources:Agency News

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