कोरोना वैक्सीन लगाने से अभी भी झिझक रहे ग्रामीण
कोरोना की दूसरी लहर के बीच सरकार ने टीकाकरण की प्रक्रिया तेज कर दी है। शहर से लेकर गांव तक में कोरोना वैक्सीनेशन पहुंचे इसके लिए राज्य सरकार मेडिकल टीम गांव-गांव तक वैक्सीन पहुंचा रही है। इसी बीच कई लोगों में अभी भी कोरोना वेक्सीन को लेकर काफी सवाल है। इसमे ग्रामीण निवासियों की संख्या काफी ज्यादा है। बता दें कि सोशल मीडिया में संदेशों द्वारा गुमराह किया गया है जो कोविड -19 के खिलाफ टीकाकरण के कारण मौतों और नपुंसकता का दावा करते हैं। टीओआई में छपी एक खबर के मुताबिक, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और नागपुर के जिला कलेक्टर आदिवासी आबादी के बीच टीके लगाने के प्रयास को तेज करने में जुटे हुए है। टीकाकरण अभियान को बढ़ावा देने के लिए गढ़चिरौली कलेक्टर दीपक सिंगला और उनके नागपुर समकक्ष रवींद्र ठाकरे ने स्थानीय गांव के डॉक्टरों जैसे हकीम औक पुजारियों से पहले कोरोवना की वैक्सीन लेने को कहा है। इससे ग्रामीणों को प्रोत्साहन मिलेगा और गांव के लोग भी टीका लगाने से डरेंगे नहीं।टीकाकरण अभियान को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन ने पूर्वी विदर्भ के माओवादी प्रभावित गढ़चिरौली में बोली जाने वाली गोंडी और मड़िया जैसी जनजाति स्थानीय भाषाओं में जागरूकता अभियान भी शुरू कर दिया है। गढ़चिरौली कलेक्टर दीपक सिंगला ने कहा कि, कोरोना के टिके गांव के लोगों को लगे इसके लिए सबसे कम प्रतिरोध वाली बस्तियों को पहले वैक्सीन दी जा रही है। ग्रामणों में जागरूकता अभियान तेजी से फैलाया जा रहा है। इस अभियान को और तेज बढ़ाने के लिए उन गांवों में भी जाना होगा जहां टीकाकरण से लोग भाग रहे है। सिंगला ने आगे कहा कि, इसके लिए गांव के डॉक्टरों को काम पर रखा जा रहा हैं ताकि ग्रामीणों को भरोसा हो सके। पहले डॉक्टरों का टीकाकरण होगा जिससे ग्रामीणो को प्रेरित किया जा सके। बता दें कि कोरोना की तीसरी लहर शहर से ज्यादा गांव को प्रभावित कर सकता है, खासकर आदीवासी जनजाति जो अभी भी जड़ीबुटी से इलाज कर रहे है।
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