18 साल बाद जिस प्रेसीडेंशियल सैलून से राष्ट्रपति करेंगे यात्रा क्या है उसकी खासियत

  

 



राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 25 जून को कानपुर देहात में अपने पैतृक गांव डेरापुर, परौंख आने वाले हैं। राष्ट्रपति के कानपुर दौरे को लेकर चर्चा इसलिए भी तेज है क्योंकि वो अपनी प्रेसीडेंसिशल ट्रेन से अपने गांव पहुंचेंगे। ज्ञात हो कि ऐसा 18 वर्षों बाद हो रहा है जब कोई राष्ट्रपति द्वारा रेल यात्रा किया जा रहा हो। इससे पहले 18 साल पहले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने प्रेसीडेंसिशल ट्रेन से यात्रा की थी। रेल यात्रा को लेकर आम लोगों में बेहद दिलचस्पी है ऐसे में आपको बताते हैं कि स्पेशल ट्रेन की क्या खास बात है और इससे पहले किन-किन राष्ट्रपतियों ने रेल यात्रा की है।

2 कोच वाला ट्रेन जिसे प्रेसीडेंसिशल सैलून भी कहते हैं 

राष्ट्रपति जिस ट्रेन में यात्रा करते हैं उसे प्रेसीडेंशियल सैलून भी कहते हैं जिसमें सिर्फ और सिर्फ वही सफर कर सकते हैं। यह आम ट्रेन की श्रेणी भी नहीं आता है। पटरियों पर ही इसे चलाए जाने की वजह से इसे प्रेसीडेंशियल ट्रेन भी कहते हैं। बुलेट प्रूफ विंडो, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, हर आधुनिक सुविधा से ये ट्रेन लैस होता है। इसमें दो कोच होते हैं जिनका नंबर 9000 व 9001 होता है। इस स्पेशल ट्रेन में राष्ट्रपति के आराम करने के लिए बेडरूम और उनके खाने पीने के लिए एक किचन, राष्ट्रपति के स्टॉफ के लिए अलग चेंबर्स हैं।

 87 बार हुआ इस सैलून का प्रयोग

अब तक देश के अलग-अलग राष्ट्रपतियों द्वारा करीब 87 बार इस प्रेसीडेंशियल सैलून का प्रयोग किया जा चुका है। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1950 में पहली बार इस सैलून का प्रयोग किया था। उन्होंने दिल्ली से कुरुक्षेत्र का सफर प्रेसीडेंशियल सैलून से किया था। इसके अलावा डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ. नीलम संजीव रेड्डी ने इस स्पेशल ट्रेन के जरिये यात्राएं की थीं। उसके करीब 26 साल बाद 30 मई 2003 को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने इस सैलून से बिहार की यात्रा की थी।

राष्ट्रपति का चार दिवसीय कानपुर दौरा 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद प्रेसीडेंशियल ट्रेन से 25 जून को आकर 28 को जाएंगे। चार दिन तक उनकी ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 10 पर कड़ी सुरक्षा घेरे में खड़ी रहेगी।  25 जून को दोपहर डेढ़ बजे वह विशेष ट्रेन से दिल्ली से रवाना होंगे। ट्रेन शाम सात बजे कानपुर सेंट्रल स्टेशन पहुंचेगी। 25 और 26 को वह कानपुर नगर में रहेंगे। यहां वह अपने सहयोगियों, रिश्तेदारों और मित्रों से मुलाकात कर सकते हैं। 27 जून को परौंख में वह आधे घंटे में चार स्थानों का भ्रमण करेंगे।

Sources:Prabhashakshi samachar

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