योगी के दिल्ली दौरे के निकल रहे कई मायने,क्या होने वाला है यूपी का विभाजन,अटकलों का बाजा़ार गर्म

 

 

 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पिछले दिनों दिल्ली दौरे पर थे। उन्होंने सबसे पहले गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से और फिर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मिले। शुक्रवार शाम उनकी मुलाकात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी हुई। योगी का यह दिल्ली दौरा ऐसे समय में हुआ है जब माना जा रहा है कि केंद्र और उत्तर प्रदेश के बीच टकराव की स्थिति है। मोदी और योगी आमने-सामने हैं। इन सबके बीच योगी के दिल्ली दौरे में एक नई अटकलबाजी को जन्म दे दिया है। इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि भाजपा नेतृत्व चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के विभाजन पर विचार कर रहा है। हालांकि अब तक यह बताया जा रहा था कि नेतृत्व परिवर्तन और कैबिनेट विस्तार को लेकर रिश्ते सहज नहीं है। नए राज्य का नाम पूर्वांचल हो सकता है।गोरखपुर भी पूर्वांचल का ही हिस्सा होगा जिसे योगी का गढ़ माना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी और पूर्व नौकरशाह एके शर्मा को भी इसी मसले से जोड़कर देखा जा रहा है। एके शर्मा को पहले विधान परिषद का सदस्य बनाया गया और फिर अब वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कोरोना प्रवंधन संभाल रहे हैं। जो अटकलबाजी है उसमें पूर्वांचल के गोरखपुर समेत 23 से 25 जिले शामिल हो सकते हैं। हालांकि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के बंटवारे से सहमत नहीं हैं। केंद्र और यूपी के टकराव की बड़ी वहज यह भी मानी जा रही है। उत्तर प्रदेश के बंटवारे को लेकर पिछले कई वर्षों से मांग चल रही है। पूर्वांचल, बुंदेलखंड और हरित प्रदेश की मांग लगातार होती रही है योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पूर्वांचल के विकास के लिए 28 जिलों का चयन पिछले दिनों किया था। माना जा रहा है कि पूर्वांचल में 125 विधानसभा की सीटें हो सकती हैं। पूर्वांचल की मांग काफी पुरानी है। यह भी कहा जाता है कि पूर्वांचल में जिस दल को अधिक सीटें मिलती है वही सत्ता में काबिज होता है। विशेषज्ञों की मानें तो किसी राज्य का बंटवारा बड़ा ही पेचीदा मामला है। यह प्रक्रिया काफी लंबा चलता है। चुनाव में करीब 8 महीने का वक्त बाकी है। ऐसे में बंटवारा मुश्किल नजर आता है। बंटवारे को लेकर गृह मंत्रालय की भूमिका काफी अहम हो जाती है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि अगर बंटवारा होना होता तो एक या डेढ़ साल पहले कर दिया गया होता। यूपी पर जनसंख्या की भाड़ है। ऐसे में यह संभव नजर नहीं आ रहा है। हालांकि उत्तर प्रदेश के बंटवारे को लेकर अटकलबाजियों का दौर लगातार जारी है। देखना होगा भाजपा की रणनीति उत्तर प्रदेश को लेकर क्या होती है?

Sources:PrabhaShakshi Samachar

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