लालढ़ांग-चिल्लरखाल सड़क बनी पी.सी.सी.एफ के गले की फांस

देहरादून- गढवाल और कुमांऊ को जोड़ने वाले कंडी मार्ग निर्माण ने वन विभाग के पी.सी.सी.एफ की अच्छी खासी फजीहत कर दी है।आपको बता दें की इस मार्ग निर्माण को लेकर वन विभाग के दो शीर्ष अधिकारियों के बीच हुये टकराव ने मामले को और तूल दे दिया। गौरतलब है कि पी.सी.सी.एफ राजीव भर्तरी ने इस सड़क निर्माण को लेकर आपत्ति दर्ज करते हुये लैंसडाउन के डी.एफ.ओ, चीफ वाईल्ड लईफ वार्डन जे.एस.सुहाग समेत तमाम अफसरों को प़त्र लिखकर क्लियरेंस न लेने की बात कही थी और इसकी कापी केन्द्रिय वन मंत्रालय तक को भेज दी थी। इस पर पलटवार करते हुये चीफ वाईल्ड लाईफ वार्डन जे.एस.सुहाग ने कहा कि ये संरक्षित क्षेत्र नहीं है और न ही एक पेड़ काटा गया है, सड़क पहले से ही बनी थी इस पर सिर्फ मेन्टेनेन्स का कार्य किया जा रहा है इसलिए क्लियरेंस लेने का सवाल ही नहीं उठता। इतना ही नहीं उन्होंने पी.सी.सी.एफ को नियम न होने तक की बात कह दी थी। आज उत्तराखण्ड के वन मंत्री हरक सिंह रावत ने इस पर कहा कि लांलढांग सड़क निर्माण जनहित की योजना है कोरोना महामारी में इस सड़क के न होने से न जाने कितने कोरोना मरीजों ने दम तोड़ दिया जिसके चलते इस सड़क की महत्ता बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि इस सड़क निर्माण में वाधा डालने वाले लोगों पर आपदा महामारी एक्ट के तहत कार्यवाही हो सकेगी। अब सवाल ये उठता है कि क्या पी.सी.सी.एफ राजीव भर्तरी को सही में नियम की जानकारी नहीं भी या फिर उनका निशाना चीफ वाईल्उ लाईफ वार्डन जे.एस.सुहाग थे। अब देखना ये होगा कि पी.सी.सी.एफ राजीव भर्तरी वन मंत्री के इस बयान पर अपनी क्या प्रतिक्रिया देते हैं।

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