देखने मे साफ लेकिन नर्वस सिस्टम को भी नुकसान पहुंचा सकता है रिवर्स आस्मोसिस (आर.ओ.)का पानी
क्या आप भी आरओ (रिवर्स आस्मोसिस) का पानी इस्तेमाल करते हैं। अगर हां, तो यह खबर आपके लिए काम की है। आपको सावधानी भी बरतनी चाहिए। साधारण पानी में ट्रेस एलीमेंट जैसे मिनरल, जिंक, सेलेनियम, कैल्शियम आदि घुलनशील पदार्थ मिले होते हैं। इनका इंडियन ड्रिंकिंग वाटर स्टैंडर्ड मानक 500 एमजी प्रति लीटर का है। जल प्रदूषण बोर्ड की भाषा में इसे टीडीएस (टोटल डिजाल्व सॉलिड) भी कहते हैं। आरओ में यही टीडीएस घटाने से पानी ज्यादा साफ लेकिन शरीर के नर्वस सिस्टम के लिए नुकसानदायक होने की संभावना ज्यादा रहती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि टीडीएस 200 से ज्यादा घटाने और लंबे समय तक वैसा ही पानी इस्तेमाल करना नुकसानदायक है। टीडीएस जितना कम करेंगे ट्रेस एलीमेंट उतना ही छनकर निकल जाएंगे कोरोना संक्रमण के चलते चिकित्सा गलियारे में कई नए तथ्य आए दिन निकल रहे हैं। एक तथ्य यह भी है कि आरओ का पानी अब अधिकांश घरों में इस्तेमाल हो रहा है। अपार्टमेंट में रहने वाले लोग अधिकाधिक इसका इस्तेमाल करते हैं। इसमें फिल्टर मशीन का टीडीएस विभिन्न कंपनियां न्यूनतम 200 तक ही रखती हैं। इससे शरीर को ट्रेस एलीमेंट प्रचुर मात्रा में मिलते भी हैं और पानी साफ भी रहता है। कई लोग टीडीएस इससे भी कम में सेट करवाते हैं। कहीं-कहीं तो टीडीएस 100 से भी नीचे करने के लिए कंपनी के सर्विस प्रोवाइडर पर दबाव डाला जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि टीडीएस जितना कम करेंगे ट्रेस एलीमेंट उतना ही छनकर निकल जाएंगे। इससे शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिलने से सीधा प्रभाव हड्डियों पर पड़ेगा।स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय (एसआरएन) के वरिष्ठ फिजीशियन डा. अजीत कुमार चौरसिया का कहना है कआरओ का पानी एक निश्चित टीडीएस पर ही इस्तेमाल करना चाहिए, न्यूनतम मानक से कम पर इसे सालों साल इस्तेमाल किया गया तो अर्थराइटिस की बीमारी होने का खतरा ज्यादा रहेगा।
टिप्पणियाँ