कोरोनाः सुद्धोवाला जेल से पेरोल पर छोड़े गए बंदी पुलिस के लिए बन रहे चुनौती
देहरादून/ कोरोना संक्रमण से सुरक्षा कारणों से बीते दिनों सुद्धोवाला जेल से तकरीबन 100 से अधिक बंदी पेरोल पर छोड़े गए थे लेकिन अब यही बंदी पुलिस को खुला चैलेन्ज दे रहे हैं। कारण यह कि जो बंदी पेरोल पर छोड़े गए उनमें से अधिकतर शातिर चोर हैं। जेल से छूटने के बाद वह फिर चोरी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। एक सप्ताह के भीतर ही पुलिस ऐसे दो बंदियों को चोरी के आरोप में पकड़ चुकी है। ऐसे में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक(एसएसपी) डाण् योगेंद्र सिंह रावत ने सभी थानाध्यक्षों को जेल से छूटे बंदियों पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा संबंधित बंदियों की समय-समय पर थाने में परेड करवाने के लिए भी कहा है।
केस एक- तीन जून को क्लेमेनटाउन थाना पुलिस ने तीन युवकों शाहरुख,सौरभ व नासिर को पकड़कर चोरी की दो वारदात का पर्दाफाश किया था। तीनों मोरोवाला (क्लेमेनटाउन) के रहने वाले हैं और अलग-अलग अपराधों में जेल जा चुके हैं। आरोपित शाहरुख 24 मई को ही पेरोल पर छूटा था। क्लेमेनटाउन थानाध्यक्ष धर्मेद्र रौतेला ने बताया कि आरोपितों ने बीती 31 मई को शास्त्री नगर निवासी प्रमोद कुमार के सुभाषनगर में निर्माणाधीन मकान से रूटर मशीन, हैंड कटर और कब्जे चोरी किए थे। इसके बाद उन्होंने आलोक शर्मा निवासी कैंट के टर्नर रोड स्थित मकान से जेवरात समेत काफी सामान चोरी किया।
केस दो -रविवार छह जून को शहर कोतवाली पुलिस ने चोरी के एक मामले में अभिषेक निवासी डांडीपुर और अभिषेक उर्फ काका निवासी मन्नूगंज को गिरफ्तार किया। इनमें से अभिषेक उर्फ काका कुछ दिन पहले ही पेरोल पर जेल से बाहर आया था। खुड़बुड़ा पुलिस चौकी के प्रभारी पंकज तिवारी ने बताया कि शनिवार को रोहित ग्रोवर निवासी मन्नूगंज ने शिकायत दर्ज कराई थी कि शुक्रवार रात उनकी परचून की दुकान का शटर तोड़कर 12 हजार रुपये चोरी कर लिए गए। दुकान का शटर तोड़े जाने की सूचना उन्हें किसी राहगीर ने दी थी। पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाले तो आरोपितों की पहचान अभिषेक निवासी डांडीपुर व अभिषेक उर्फ काका निवासी मन्नूगंज के रूप में हुई। रविवार को सूचना मिली कि दोनों आरोपित डांडीपुर ढाल क्षेत्र में घूम रहे हैं। इसी दौरान पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
सरिता डोबाल,पुलिस अधीक्षक नगर ने कहा कि जेल से पेरोल पर छूटे बंदियों पर खास नजर रखी जा रही है। सभी थानाध्यक्षों को निर्देशित किया गया है कि वह इन बंदियों की निगरानी करें। समय-समय पर उन्हें थाने बुलाया जा रहा है।
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