क्या मुकुल रॉय को मनाने में कामयाब हो पाएगी भाजपा,अटकलों का बाजार गर्म
पश्चिम बंगाल में विधानसभा के चुनाव संपन्न हो चुके है। सरकार भी बन गई है लेकिन राजनीतिक दांव-पेंच अब भी जारी है। भाजपा और तृणमूल कांग्रेस आमने-सामने तो है ही इसके अलावा उन नेताओं पर भी सबकी निगाहें जा टिकी हैं जो चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे। गाहे-बगाहे इनके लिए एक बार फिर से तृणमूल कांग्रेस में वापसी के कयास लग ही जाते हैं। ऐसा ही एक बड़ा नाम है मुकुल रॉय का। मुकुल रॉय भाजपा के लिए अब बड़े नेता हो चुके हैं। पश्चिम बंगाल में इस बार वह विधानसभा के चुनाव भी जीते हैं। परंतु दावा किया जा रहा है कि अपनी पार्टी से नाराज चल रहे हैं। यह भी दावा किया जा रहा है कि आने वाले दिनों में मुकुल रॉय एक बार फिर से तृणमूल कांग्रेस में जा सकते हैं।मुकुल रॉय के एक बार फिर से तृणमूल कांग्रेस में वापसी के दावे कितने सही हैं और कितने गलत। यह तो वही बताएंगे और आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन यह बात भी सच है कि कहीं ना कहीं मुकुल रॉय पार्टी से नाराज हैं। नाराजगी का कारण यह माना जा रहा है कि मुकुल रॉय और उनकी पत्नी कोरोना वायरस से संक्रमित हुए लेकिन पार्टी की ओर से शुरू में कोई खैर-खबर नहीं ली गई। पार्टी की सक्रियता उसके बाद बढ़ी जब तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी अस्पताल में जाते हैं और फिर दोनों का हाल-चाल पूछते हैं। इसके लिए मुकुल राय के बेटे ने ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी का धन्यवाद भी किया है। मुकुल रॉय के बेटे शुभ्रांशु रॉय ने कहा कि मैं आभारी हूं ममता बनर्जी का जिन्होंने विभिन्न तरीकों से मेरे पिताजी का हालचाल जाना। उनका परिवार जरूरत के समय हमारे साथ है। लेकिन इसके बाद शुभ्रांशु रॉय ने जो बयान दिया वह वाकई चौंकाने वाला है। शुभ्रांशु रॉय ने कहा कि पश्चिम बंगाल बंटवारे की सियासत पसंद नहीं करता और मैं समझता हूं कि राजनीति में कुछ भी संभव है। हालांकि इन सब घटनाक्रम के बाद भाजपा सक्रिय हुई खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुकुल रॉय को फोन कर उनकी बीमार पत्नी का हालचाल पूछा। शुभ्रांशु ने बताया कि प्रधानमंत्री ने सुबह साढ़े दस बजे फोन पर मेरे पिताजी से बात की और मां का हालचाल पूछा। पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप भी अस्पताल पहुंचे। बनर्जी जब अस्पताल पहुंचे थे तो शुभ्रांशु भी वहां मौजूद थे। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि पिता के साथ भाजपा में शामिल हुए शुभ्रांशु ने हाल ही में ट्वीट किया था कि जनादेश पाकर सत्ता में आयी सरकार की आलोचना करने से पहले लोगों को आत्मावलोकन करना चाहिए। ऐसा माना जा रहा है कि यह पोस्ट भाजपा पर निशाना था।मुकुल रॉय की नाराजगी का एक कारण यह भी है कि उन्होंने भी विधानसभा का चुनाव जीता था परंतु शुभेंदु अधिकारी को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। माना जा रहा है कि इससे मुकुल रॉय को झटका लगा है। मुकुल रॉय का मानना है कि वह पार्टी में काफी पहले से हैं और विषम परिस्थितियों में पार्टी के लिए पश्चिम बंगाल में संघर्ष किया है। यही कारण रहा कि शुरुआत में ही मुकुल रॉय के भाजपा से अलग आने के खबरें आने लगी थी। अटकलें इतनी जोरों पर थी कि खुद मुकुल रॉय को ट्वीट कर इन अटकलों को खारिज करना पड़ा। अपने ट्वीट में मुकुल रॉय ने कहा कि अपने राज्य में लोकतंत्र बहाल करने के लिए भाजपा के एक सिपाही के रूप में मेरी लड़ाई जारी रहेगी। मैं सभी से आग्रह करूंगा कि वे सभी प्रकार की अटकलों को विराम दें। मैं अपने राजनीतिक राह के लिए संकल्पित हूं।हालांकि पश्चिम बंगाल में फिलहाल तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए नेताओं की घर वापसी होने लगी है। सोनाली गुहा और राजीब बनर्जी जैसे नेता ममता बनर्जी से माफी मांग रहे हैं और एक बार फिर से तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के लिए आग्रह कर रहे हैं। भाजपा की ओर से भी मुकुल रॉय को मनाने की तमाम कोशिश की जा रही है। राजनीतिक कयास बाजी यह भी है कि मुकुल रॉय को केंद्र में बुलाया जा सकता है और उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। मुकुल रॉय कभी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सबसे करीबी नेताओं में शुमार रहे थे। 2017 में तृणमूल कांग्रेस को छोड़ उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था।
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