बेटियों की सुरक्षा और उनको शिक्षा के समान अवसर प्रदान किये जायें प्रदानः राष्ट्रपति

 

 


लखनऊ /  राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द दो महीने में उत्तर प्रदेश के दूसरे दौरे पर हैं। उत्तर प्रदेश के चार दिन के दौरे पर गुरुवार को लखनऊ पहुंचे राष्ट्रपति शुक्रवार को मनोज पाण्डेय उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल की हीरक जयंती कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।इस अवसर पर राष्ट्रपति ने सैनिक छात्र-छात्राओं को भी संबोधित किया। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि जब हम नारी सशक्तिकरण की बात करते हैं तो जरूरी है की बेटियों की सुरक्षा और उनको शिक्षा के समान अवसर प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सभी सैनिक स्कूलों में बालिकाओं के प्रवेश की घोषणा की, लेकिन लखनऊ के कैप्टन मनोज पांडेय यूपी सैनिक स्कूल में बालिकाओं को तीन वर्ष पहले ही प्रवेश की शुरुआत हो चुकी है। यह बहुत ही सराहनीय है। राष्ट्रपति ने कहा कि यह देश का पहला सैनिक स्कूल बनेगा जहां की बेटियां इस साल एनडीए की परीक्षा में बैठेंगी। यह स्कूल वीरों के साथ अब भारतीय सेना को एनडीए के माध्यम से वीरांगनाएं भी देगा।राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कैप्टन मनोज पांडेय यूपी सैनिक स्कूल के पूर्व छात्र कैडेटों के संगठन का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इसके लिए पूर्व छात्रों और विद्यालय प्रशासन को बधाई। जिन्होंने एक नया नाम दिया जो हमेशा विद्यालय के साथ जुड़ा रहेगा। डॉ. संपूर्णानंद देश के पहले मुख्यमंत्री हुए जिन्होंने सैनिक स्कूल की स्थापना के बारे में सोचा। उन्होंने इसका अनुभव किया होगा कि अच्छी दिशा में सफलतापूर्वक प्रशासन चलाने के लिए अनुशासित नागरिक जरूरी है। जब तक हमारा नागरिक अनुशासित नहीं होगा तब तक देश को आगे नहीं ले जाया जा सकता है। सैनिक स्कूल देश को शिक्षित व अनुशासित नागरिक देता है। गोरखपुर में हाल ही में नए सैनिक स्कूल का शिलान्यास किया गया। वर्ष 2021-22 के बजट में देश में 100 नए सैनिक स्कूल खोलने की व्यवस्था की गई है। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि जब सैनिक भावना के साथ खिलाड़ी मैदान पर उतरता है तो मेजर ध्यान चंद, फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह और नीरज चोपड़ा इतिहास बनाते हैं।

दशहरे में जाएंगे कारगिल

राष्ट्रपति ने कहा कि परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पाण्डेय थे जो कारगिल में शहीद हुए। कारगिल शहीदों को नमन करने के लिए वहां लगातार तीन वर्ष से जाने का प्रयास कर रहा हूं, लेकिन वह सफल नहीं हो पाता। वर्ष 2019 व 2020 के बाद भी जब इस साल गया तो वहां का मौसम बहुत खराब था। सेना के अफसरों ने कहा कि वहां चीता हेलीकाप्टर नहीं उतर सकता। ऐसे में इस वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के दिन बारामूला के टाइगर वार मेमोरियल गया। वहां एक संदेश देखा हर काम देश के नाम। यदि हम सब भारतीय अपनी प्रतिदिन की दिनचर्या में इस संदेश का अनुसरण करें तो हममें राष्ट्र भावना की प्रेरणा और बढ़ेगी। मैने कारगिल स्मृतिका जाने की उम्मीद नहीं छोड़ी है। सीडीएस से बात हुई है। इस साल दशहरा में मैं कारगिल अवश्य जाऊंगा।

 

Sources: जेएनएन

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